/newsnation/media/post_attachments/images/2022/09/05/nepal-border-27.jpg)
मोतिहारी में किसान दोगुनी कीमत देकर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
एक तरफ किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है, लेकिन तस्करों की चांदी है. मोतिहारी में किसान दोगुनी कीमत देकर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं, लेकिन तस्कर बड़ी ही आसानी से यूरिया की तस्करी कर रहे हैं और वह भी एसएसबी की आंखों में धूल झोककर. एक तरफ सरकार का वादा है कि वह किसानों के लिए यूरिया की कमी नहीं होने देगी, लेकिन दूसरी तरफ किसान एक बोरी यूरिया के लिए तरस रहा है और ब्लैक में यूरिया खरीदने के लिए मजबूर है, लेकिन तस्कर बिल्कुल भी मजबूर नहीं है. खासकर मोतिहारी जिले में तस्करों की चांदी है.
तस्कर भारी मात्रा में यूरिया की तस्करी करके नेपाल पहुंचा रहे हैं. नेपाल से सटे सीमावर्ती जिले पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर घोड़ासहन प्रखंड के आठमोहान बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल यानि एसएसबी की ड्यूटी है, लेकिन एसएसबी का कहीं अता पता नहीं है और इसका फायदा सबसे ज्यादा अगर कोई उठा रहा है तो वो हैं यूरिया के तस्कर. तस्कर मालामाल हो रहे हैं और किसान यूरिया को दोगुने दाम पर वह भी एहसान के साथ खरीदने के लिए मजबूर हो रहा है.
हद तो तब हो गई जब इन तस्वीरों के बारे में कृषि विभाग के अधिकारी से जवाब मांगा गया तो उन्होंने उल्टा सीधा जवाब दिया और एसएसबी पर सारा ठीकरा फोड़ दिया. बेशक प्रखंड कृषि पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं और अपने विभाग की नाकामी का ठीकरा एसएसबी पर फोड़ रहे हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर तस्करी हो रही है तो तस्करों के खिलाफ मुकदमा कौन दर्ज कराएगा. पुलिस को तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए शिकायती पत्र कौन देगा और अपने यूरिया विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा? जो तस्करों को यूरिया की बोरिया परोसकर दे रहा है. शायद प्रखंड कृषि पदाधिकारी के पास इस बात का जवाब नहीं है या फिर यह भी कहना सही होगा कि शायद प्रखंड कृषि पदाधिकारी इन बातों का जवाब देना नहीं चाहते.
Source : Ranjit Kumar