'गरीबों को जेल, अमीर मामूली जुर्माना देकर छूट जाते हैं..', शराबबंदी पर सुशील मोदी का तंज
ताजा मामले में एक बार फिर से बिहार के पूर्व डिप्टी सीएण व बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने सूबे की नीतीश सरकार पर फिर से हमला बोला है. शराबबंदी कानून दलित और पिछड़ा विरोधी कानून है और अमीरों पर मेहरबान होनेवाला कानून है.
highlights
- शराबबंदी कानून को लेकर सुशील मोदी ने फिर बोला हमला
- नीतीश सरकार पर बोला करारा हमला
- कहा-गरीबों को जेल भेजा जाता है, अमीर छूट जाते हैं
Patna:
बिहार में शराबबंदी कानून लागू है लेकिन धरातल पर हकीकत ये है कि बिहार में शराबंबदी कानून सफल होती नहीं दिख रही है. ताजा मामले में एक बार फिर से बिहार के पूर्व डिप्टी सीएण व बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने सूबे की नीतीश सरकार पर फिर से हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि शराबबंदी कानून दलित और पिछड़ा विरोधी कानून है और अमीरों पर मेहरबान होनेवाला कानून है. साथ ही सुशील मोदी ने सीएम नीतीश से एक बार फिर से शराब के मुद्दे पर गुजरात मॉडल की तर्ज पर परमिशन देने की मांग की है.
बीजेपी हमेशा रही है शराबबंदी कानून की पक्षधर
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हम हमेशा शराबबंदी के पक्ष में रहे हैं, लेकिन छह साल में कानून में बार-बार बदलाव करते हुए इसे दलित-आदिवासी-पिछड़ा विरोधी बना दिया गया. सुशील मोदी ने कहा कि गरीब आदमी की तो गाड़ी नहीं होती और अमीर की गाड़ी में शराब मिलने पर अब वह वाहन बीमा राशि का 50 के बजाय मात्र 10 फीसद जुर्माना देकर छूट सकता है. कानून में यह बदलाव क्या अमीरों के पक्ष में नहीं है?
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अमीर लोग आराम से छूट जाते हैं
उन्होंने कहा कि जब गरीब आदमी शराब पीते पकड़ा जाता है, तो जुर्माने की रकम नहीं देने के कारण जेल जाता है, जबकि अमीर लोग आराम से 3 हजार रुपये भर कर छूट जाते हैं. अमीर लोग शराब की होम डिलीवरी करा लेते हैं. सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा के दबाव में सरकार ने जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को नियमानुसार 4 लाख रुपये देने का फैसला तो किया, लेकिन नियमावली ऐसी बनायी कि अनुग्रह राशि मिलना कठिन हो गया.
सरकार ने कितनों को दिया मुआवजा?
सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब पीने से 500 से ज्यादा लोग मर चुके हैं. सरकार बताए कि अभी तक कितने लोगों को 4 लाख रूपये का मुआवजा मिल चुका है ? सरकार बताए कि जहरीली शराब के 50 से ज्यादा मामले में अभी तक एक व्यक्ति को भी सजा क्यों नहीं मिल पाई ? उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून बड़े लोगों को राहत देने वाला हो गया है. इसकी जगह "परमिट पर शराब" का गुजरात मॉडल क्यों नहीं अपनाया जा सकता?
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