Bihar Elections: ‘कूड़े में फेंक देंगे वक्फ संशोधन कानून’, जानें ऐसा क्यो बोल रहे हैं तेजस्वी यादव

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़े में फेंकने की बात कर रहे हैं. क्या इस बात में सच्चाई है. आइये जानते हैं…

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़े में फेंकने की बात कर रहे हैं. क्या इस बात में सच्चाई है. आइये जानते हैं…

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Jalaj Kumar Mishra
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Tejashwi Yadav

Tejashwi Yadav (File Photo)

बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के बीच महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि अगर बिहार इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो वे वक्फ संशोधन कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे. भाजपा ने तुरंत ही तेजस्वी पर हमला बोला. उन्होंने तेजस्वी को नमाजवादी बता दिया. उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर कोई मुख्यमंत्री केंद्र के कानून को कैसे रद्द कर सकता है.

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ऐसे में सवाल आता है कि क्या तेजस्वी सच में वक्फ संशोधन कानून को रद्द कर सकते हैं. अगर नहीं तो वे कूड़े में फेंकने का कैसे कह सकते हैं. आइये इस बारे में समझते हैं.

मुस्लिमों को इस बात का डर

आजादी के बाद सन् 1954 में वक्फ एक्ट बना. साल 1995 और साल 2013 में इसमें कुछ बदलाव किए गए. हालांकि, सबसे बड़ा बदलाव अप्रैल 2025 मे मोदी सरकार ने किया है. मुस्लिमों का एक वर्ग में इस बदलाव से परेशान है. उनको डर है कि उनका कब्रिस्तान, मस्जिद-मदरसा अब कानूनी विवादों में फंस जाएगा. नए बदलाव कलेक्टर के राज को बढ़ावा देंगे. वे अपनी मर्जी से ही तय करेंगे कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है और कौन सी नहीं. इस्लामिक नियमों के अनुसार, मौखिक रूप से बिना वक्फनामे के भी कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है पर अब वक्फ डीड के बिना कोई भी प्रोपर्टी वक्फ नहीं हो सकती. 

क्या वक्फ कानून में बदलाव कर सकते हैं तेजस्वी?

वक्फ के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकती है पर टकराव की स्थिति में केंद्र का कानून ही माना जाएगा. ऑर्टिकल-256 के अनुसार, राज्य सरकारें केंद्र के कानूनों और उनके निर्देशों का पालन करने से मना नहीं कर सकती हैं. पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रभात भारद्वाज का कहना है कि राज्य सरकारें वक्फ बोर्डों के प्रशासनिक कार्यों में भूमिका निभा सकती हैं लेकिन केंद्र सरकार के कानूनों को रद्द या अमान्य नहीं कर सकती हैं. बिहार में तेजस्वी अगर सरकार बना भी लेते हैं फिर भी वक्फ संसोधन कानून को रद्द नहीं कर सकते. कानून रद्द करने के लिए केंद्र सरकार या फिर राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है.  

मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश

वक्फ कानून को कूड़े में फेंकने वाली बात, उन्होंने सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए की. 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार में 18 प्रतिशत वोटर्स मुस्लिम हैं. राज्य की 40 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स 25 प्रतिशत से अधिक हैं. 20 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स 20 से 25% हैं. कुछ सीटों पर तो मुस्लिम वोटर 70 प्रतिशत से भी अधिक हैं. बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 60 से 70 सीटों पर मुस्लिमों का वर्चस्व है. तेजस्वी मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए ऐसा कह रहे हैं. 

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