तेजस्वी का नीतीश सरकार पर हमला, मजदूरों और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों
उन्होंने पूछा कि बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है?
पटना:
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने की योजना की प्रशंसा की है तथा इसी बहाने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना भी साधा है. उन्होंने पूछा कि बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही. आखिर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?
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तेजस्वी ने कहा, 'गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया. वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड़ दिया है. देशव्यापी लॉकडाउन के मध्य ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लक्जरी बसों में वापस अपने राज्य में लाने का प्रबंध किया. उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों के अनेकों ट्रिप से दिल्ली एनसीआर में फंसे अपने राज्यवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया. राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतजाम किया. वाराणसी में फंसे हजारों यात्रियों को बसों द्वारा अनेक राज्यों में भेजा गया.'
उन्होंने कहा, 'आखिर भाजपा शासित अन्य राज्य इतने सक्षम क्यों हैं और भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए भी बिहार सरकार इतनी असहाय क्यों है? बिहार सरकार और केंद्र सरकार में भारी विरोधाभास नजर आ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय और सामंजस्य कहीं दिख ही नहीं रहा. आप देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन इस आपदा की घड़ी में बिहार के लिए उस वरिष्ठता और गठबंधन का सदुपयोग नहीं हो रहा है.'
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राजद नेता ने आगे कहा, 'इस आपदा से निपटने में बिहार सरकार के दृष्टिकोण में भारी अस्पष्टता दिखाई देती है. आज कुछ कहते हैं, कल कुछ और करते हैं. जैसे की दिल्ली एनसीआर से जब बिहारी मजदूर यूपी की मदद से वापस आने लगे तो आपने कहा कि उन्हें बिहार में घुसने नहीं देंगे. कोटा से जब छात्र आए तो आपने उनको भी बिहार में प्रवेश करने नहीं दिया और उल्टे केंद्र सरकार से वहां के डीएम की शिकायत भी की. अपनी जनता से घुसपैठियों जैसा व्यवहार कोई सरकार कैसे कर सकती है?' उन्होंने कहा, 'जब जनदबाव आया, जगहंसाई हुई तो सरकार ने उन लोगों को राज्य में प्रवेश की अनुमति दी. सरकार से कोई मदद न मिलने की स्थिति में अब मेहनतशील मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. यह अतिगंभीर मसला है.'
उन्होंने कहा, 'जैसा की आप जानते होंगे विगत तीन दिनों में बिहार के तीन अप्रवासी मजदूरों की मृत्यु हुई है. एक की हैदराबाद में और कल पंजाब के अमृतसर और हरियाणा के गुड़गांव में दो युवकों की मृत्यु और हुई. ये लोग नौकरी छूटने, अपना पेट नहीं भरने के कारण मांगकर खाने, वापस घर नहीं जाने और सरकार द्वारा त्याग दिए जाने के कारण मानसिक अवसाद के शिकार हो चुके थे. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि उनके बेचारे परिजन उन मृत व्यक्तियों के अंतिम दर्शन भी ना कर सके और आख़िरी समय में उन्हें जन्मभूमि की मिट्टी भी नसीब ना हो.'
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तेजस्वी ने कहा, 'शुरुआत से कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हम सरकार के साथ खड़े होकर उसे रोकने में हरसंभव मदद कर रहे हैं. मैं आपसे पुन: आग्रह कर रहां हूं कि आप पुनर्विचार करें और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे सभी इच्छुक प्रवासी बिहारियों और छात्रों को सकुशल और सम्मान के साथ बिहार लाने का प्रबंध करें. सभी ट्रेनें खाली खड़ी हैं. आप रेलमंत्री भी रहे हैं, उस अनुभव का उपयोग किया जाए. सामाजिक दूरी और अन्य जनसुरक्षा निर्देशों का पालन कराते हुए बहुत आसानी से इन लोगों को इन ट्रेनों से वापस लाया जा सकता है. यहां आगमन पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच, टेस्ट और क्वॉरंटीन किया जाए.'
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने कहा कि अपने नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. अपने राज्यवासियों को गैरबराबरी का अहसास मत कराइये. इस विपदा की घडी में बेचारे बाहर फंसे हुए हमारे लोग बड़ी उम्मीद से सरकार की तरफ देख रहे हैं कि सरकार उनको सकुशल घर तक पहुंचाने का इंतज़ाम करेगी, लेकिन सरकार की अस्पष्टता उनको निराश कर रही है. उन्होंने कहा कि जितना संपन्न और समृद्ध व्यक्ति की जान की कीमत है, उतना ही एक मजबूर मजदूर की भी जान की कीमत है.'
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तेजस्वी ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि अगर गुजरात, यूपी सरकार और कोई बीजेपी सांसद अपने राज्यवासियों को निकाल सकता है तो बिहार क्यों नहीं? केंद्र के दिशानिर्देशों के पालन में समानता की मांग करिये. अगर बिहार के साथ दोहरा रवैया है तो कड़ा विरोध प्रकट कीजिये. पूरा बिहार आपके साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि आखिर बिहारवासी कब तक ऐसे त्रिस्कृत होते रहेंगे? इस मुश्किल वक़्त में तमाम स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधित उपायों का पालन करते हुए कृपया बाहर फंसे सभी प्रदेशवासियों को यथाशीघ्र बिहार लाने का उचित प्रबंध करे.
गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार के भी हजारों छात्र फंसे हुए हैं. कुछ छात्र तो अभिभावकों के साथ कोटा से निकल आए थे, मगर उन्हें बिहार की सीमा पर ही रोककर क्वारेंटीन सेंटर में रखा गया है. इसके अलावा बिहार के कई लोग अन्य दूसरे राज्यों में भी फंसे हुए हैं.
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