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शिक्षक की खुदकुशी का मामला: SHO व IO ने नहीं किया Cr.P.C. 169 का इस्तेमाल, बच सकती थी राहुल की जान

शिक्षक राहुल कुमार ने पुलिस की लापरवाही व फेक जांच की वजह से खुदकुशी कर ली है. राहुल कुमार को हत्या के एक मामले में मृतक मनोज सिंह उर्फ पप्पू सिंह की पत्नी द्वारा नामजद आरोपी बनाया गया था जबकि राहुल कुमार का हत्याकांड से कोई संबंध नहीं था.

Updated on: 13 Aug 2023, 07:06 PM

highlights

  • शिक्षक राहुल कुमार की खुदकुशी का मामला
  • पुलिस पर लग रहे लापरवाही से विवेचना करने के आरोप
  • सही से विवेचना होती तो राहुल नहीं करते खुदकुशी
  • जेल जाने के डर से राहुल ने की खुदकुशी

Nawada:

नवादा जिले के नरहट थाना क्षेत्र के निवासी व पेशे से सहायक शिक्षक राहुल कुमार की खुदकुशी के पीछे अब पुलिस की खामियां भी सामने आ रही हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, राहुल कुमार का नाम फर्जी तरीके से FIR में लिखवाया गया था. FIR दर्ज होने के बाद सारी जिम्मेदारी या फिर कहें कि न्याय की दिशा में पहली और अहम जिम्मेदारी मामले की विवेचना करने वाला अधिकारी यानि कि विवेचक के कंधों पर आ जाती है. केस हाथ में लेते ही मामले की विवेचना करने वाली अधिकारी का ये फर्ज बन जाता है कि जो सही आरोपी हैं उन्हें आरोपी के तौर पर चार्जशीट में लिखे और जो बेगुनाह है उसका नाम विवेचना के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर निकालकर उसे क्लीन चिट दे. 

Cr.P.C. 169 देती है विवेचक को ये बड़ी ताकत

सीआर.पी.सी. की धारा 169 में विवेचना अधिकारी या थानाध्यक्ष को ये शक्ति मिली हुई है कि अगर उसे लगता है कि किसी भी आरोपी के घटना में शामिल होने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं है, तो वह आरोपी को बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए छोड़ सकता है. हालांकि, विवेचक चाहे तो उससे बॉंड भरवाकर उसे जमानत दे सकता है. राहुल कुमार के मामले में अगर विवेचना ठीक से होती तो ना तो राहुल को जेल जाने का भय सताता और ना ही आज पुलिस पर जो सवाल उठ रहे हैं, वो उठाए जाते. ऐसे में विवेचना अधिकारी की भूमिका संदिग्ध लग रही है. विवेचना अधिकारी ने सिर्फ शिकायतकर्ता के द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर पूरी विवेचना खत्म कर ली और बिना तथ्यों की जांच पड़ताल किए राहुल कुमार को भी मामले में आरोपी बना दिया और उसके खिलाफ सरेंडर करने के लिए वारंट भी उसके घर पर चश्पा कर दिया. 

एक भी बेगुनाह....

देश का संविधान और कानून ये कहता है कि बेशक कई बदमाश, अपराधी सामाज में खुले घूम रहे हों लेकिन गलती से भी एक बेगुनाह को ऐसे मामले में नहीं फंसाया जाना चाहिए एक जेल नहीं भेजा जाना चाहिए जिसने कोई गलती ना की है लेकिन अक्सर इसके खिलाफ ही मामले सामने आते रहते हैं. ताजा मामले में सीएम नीतीश कुमार के गृह जनपद नवादा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें खाकी की लापरवाही सामने आ रही है. दरअसल, यहां शिकायतकर्ता के द्वारा दी गई तहरीर के दवाब में आकर पुलिस ने एक ऐसे इंसान को खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर दिया है जो घटना में शामिल ही नहीं था. स्थानीय लोगों के मुताबिक, शख्स घटना में शामिल नहीं था लेकिन पुलिस पता नहीं किसके दवाब में आकर उसके नाम को विवेचना के दौरान नहीं निकाला.

राहुल समेत कुल 7 लोगों को बनाया गया था आरोपी

मामला जिले के नरहट थाना क्षेत्र के खनवां गांव का है. यहां के निवासी व पेशे से शिक्षक राहुल कुमार ने पुलिस की लापरवाही व फेक जांच की वजह से खुदकुशी कर ली है. राहुल कुमार को हत्या के एक मामले में मृतक मनोज सिंह उर्फ पप्पू सिंह की पत्नी द्वारा नामजद आरोपी बनाया गया था जबकि राहुल कुमार का हत्याकांड से कोई संबंध नहीं था. सात लोगों पर आरोप है कि जून 2023 में उनलोगों ने एक शख्स की हत्या कर दी थी. इन आरोपियों में मृतक पप्पू सिंह की पत्नी द्वारा अपने ही ससुर कृष्णा सिंह व अन्य परिजन छोटे सिंह, सुमन कुमार, रंजन सिंह, राजेश सिंह, प्रवीण कुमार और खुदकुशी करने वाले शिक्षक राहुल कुमार समेत सात लोगों को आरोपी बनाया था. मामले में कृष्णा सिंह, छोटे सिंह और सुमन कुमार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेजा जा चुका है.

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राहुल कुमार चल रहे थे फरार

इस मामले में राहुल कुमार पुलिस से बचने के लिए लगातार फरार चल रहे थे व फिलहाल भागलपुर में रह रहे थे. पुलिस ने इसी मामले में कार्रवाई करते हुए अन्य फरार आरोपी प्रवीण कुमार उर्फ छोटे सिंह को नरहट पुलिस ने झारखंड से गिरफ्तार किया था. अन्य अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार सहित 15 जुलाई को राहुल के घर कुर्की- जब्ती का इश्तहार पुलिस द्वारा चिपकाया गया था. हत्याकांड मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद से ही राहुल घर पर नहीं रहते थे. उन्हें अपनी नौकरी की चिंता सताती थी. राहुल को उनके पिता वीरेंद्र सिंह की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर शिक्षक की नौकरी मिली हुई थी. राहुल सिरदला थाना क्षेत्र के उच्च विद्यालय लौंद में सहायक शिक्षक के पद पर थे.

सरेंडर करने का चिपकाया गया इश्तहार

फरार चल रहे शिक्षक राहुल कुमार के घर पर पुलिस द्वारा इश्तेहार चिपका कर न्यायलय या पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के लिए अल्टीमेटम दिया था लेकिन राहुल ने सरेंडर करने की जगह अपनी जिंदगी ही खत्म कर ली. वहीं, स्थानीय लोग दबी आवाज में ये कहते सुने गए कि राहुल का कोई भी संबंध हत्याकांड से नहीं थी लेकिन पुलिस द्वारा विवेचना सही से नहीं की गई और राहुल को भी आरोपी बना दिया गया. अब राहुल ने खुदकुशी कर ली है. राहुल अपने पीछे एक मासूम बच्चे व पत्नी को छोड़ गए हैं.

पुलिस जांच पर सवाल

राहुल की खुदकुशी के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, पुलिस के आलाधिकारियों से इस मामले में राहुल के परिजनों ने कई बार गुहार लगाई थी कि मामले की जांच किसी उच्छ अधिकारी से करा ली जाए ताकि सच सामने आ जाए लेकिन पुलिस अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. अगर मामले की जांच गहनता से कराई जाती तो राहुल निर्दोष साबित होते लेकिन ऐसा नहीं हो सका. शिकायती पत्र में जिन-जिन लोगों का नाम लिखा गया उन सभी को पुलिस द्वारा आंख मूंदकर आरोपी बनाकर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी गई. विवेचक द्वारा अपनी बुद्धि का इस्तेमाल रत्तीभर नहीं किया गया. बस शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेज दिया गया और जिन्हें पुलिस नहीं पकड़ पाई थी उनकी गिरफ्तारी व उन्हें सरेंडर करने के लिए दवाब बनाआ जाने लगा था.

मानसिक रूप से विक्षिप्त थे मनोज

मनोज सिंह उर्फ पप्पू सिंह की हत्या 1 जून 2023 को हुई थी. आरोप है कि मनोज द्वारा उपद्रव किए जाने पर उन्हें उनके परिजनों के कहने से ही पड़ोस के कुछ लोगों द्वारा उनका हाथ पैर बांध दिया गया था लेकिन 1 जून 2023 को ही देर रात्रि उनकी मौत हो गई थी. अब मनोज की पत्नी ने मनमाफिक तरीके से जिसका चाहा उसका नाम तहरीर में दे दिया और पुलिस ने बिना मामले की अच्छे से विवेचना किए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी और राहुल को भी आरोपी बना दिया था.