सुशील मोदी का विपक्षी एकजुटता पर तंज-'बंगलुरू में हाशिये पर रहेंगे नीतीश, कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर'
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सह बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक बार फिर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर विपक्षी एकजुटता को लेकर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता की दो बैठकों के बीच महागठबंधन कमजोर हुआ है.
highlights
- सुशील मोदी ने फिर बोला सीएम नीतीश पर हमला
- कहा-कांग्रेस के हाथों में रहेगी विपक्ष की कमान
- दो बैठकों में कमजोर हो चुका है महागठबंधन-सुशील मोदी
Patna:
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सह बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक बार फिर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर विपक्षी एकजुटता को लेकर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता की दो बैठकों के बीच महागठबंधन कमजोर हुआ है. शरद पवार की पार्टी टूटी, पंचायत चुनाव में हिंसा से ममता का दामन दागदार हुआ है. दक्षिण के छिटपुट दलों के जुड़ने से राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर नहीं होगा. मांझी, चिराग, राजभर के करीब आने से एनडीए और मजबूत हुआ है.
कमजोर हुआ है विपक्ष
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्षी एकता की पहली और दूसरी बैठक के बीच मात्र 24 दिनों के भीतर नीतीश कुमार हाशिये पर आ गए, शरद पवार की पार्टी टूट गई, कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई और बिहार-यूपी में जीतन राम मांझी, ओम प्रकाश राजभर, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए की ओर आने से विपक्ष कमजोर हुआ. सुशील मोदी ने कहा कि विपक्षी एकता की बंगलुरू बैठक में जिन आठ नए दलों के जुड़ने की बात कही जा रही है, उनमें चार केरल और चार तमिलनाडु के छोटे-छोटे दल हैं.
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...एनडीए को नहीं पड़ने वाला फर्क!
उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के जिन दो राज्यों में भाजपा का प्रभाव बहुत कम है, वहाँ के इन चंद दलों के विपक्ष के साथ जुड़ने- न जुड़ने से राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं. यह केवल परसेप्शन बनाने का खेल है. सुशील मोदी ने कहा कि अपना घर ठीक करने और टूट का घाव भरने में लगे शरद पवार बंगलुरू पहुचेंगे भी या नहीं, अभी कहना कठिन है.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी बंगलुरू बैठक में भाग लेंगी , लेकिन सोनिया गाँधी की दावत में शामिल न होकर एकता में पड़ी गांठें भी जाहिर करेंगी. सुशील मोदी ने कहा कि ये वही ममता दीदी हैं, जिनके पश्चिम बंगाल में हाल के पंचायत चुनाव में भाजपा ही नहीं, कांग्रेस-माकपा के भी दर्जनों कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, लेकिन किसी विपक्षी नेता को लोकतंत्र की हत्या नहीं दिखी. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर केवल भाजपा-विरोध की राजनीति हो रही है. सब अपना-अपना भ्रष्टाचार और परिवारवादी पार्टी का अस्तित्व बचाने में लगे हैं.
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