जातीय जनगणना: सुशील मोदी बोले-'हाई कोर्ट में पिटी नीतीश सरकार की भद'
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना कराने के विरुद्ध एक भी कानूनी सवाल का जवाब दमदार ढंग से नहीं दे पाने के कारण हाईकोर्ट में फिर नीतीश सरकार की भद पिटी.
highlights
- जतीय जनगणना पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
- बीजेपी ने नीतीश सरकार को घेरा
- कोर्ट में सही से जवाब ना देने का लगाया आरोप
- सुशील मोदी बोले-हाईकोर्ट में पिटी नीतीश सरकार की भद
Patna:
पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस की बेंच में आदेश दिया गया है कि तत्का प्रभाव से इसे रोकें. इसी के साथ हाईकोर्ट ने डाटा सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है. आपको बता दें कि बीते दिन सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखा था. यह फैसला जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच द्वारा लिया गया. मामले में 3 जुलाई को अगली सुनवाई होगी. अब इस पर सियासी रार शुरू हो गई है. खासकर बीजेपी अब नीतीश सरकार पर हमलावर हो रही है. बीजेपी से राज्यसभा सांसद व बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना पर हाई कोर्ट में नीतीश सरकार की भद पिटी है. नीतीश सरकार द्वारा सही ढंग से हाईकोर्ट में पक्ष ढंग से नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि बीजेपी भाजपा के बिहार सरकार में रहते हुए जातीय जनगणना का फैसला लिया गया था.
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सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना कराने के विरुद्ध एक भी कानूनी सवाल का जवाब दमदार ढंग से नहीं दे पाने के कारण हाईकोर्ट में फिर नीतीश सरकार की भद पिटी. जनगणना कराने का फैसला उस एनडीए सरकार था, जिसमें भाजपा शामिल थी. उन्होंने कहा कि अदालत की अंतरिम रोक के बाद जातीय जनगणना लंबे समय तक टल सकती है और इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि जनगणना के संबंध में तीन बड़े न्यायिक प्रश्न थे. जिस मुद्दे पर विरोध पक्ष से मुकुल रहोतगी जैसे बड़े वकील बहस कर चुके थे, उस पर जवाब देने के लिए वैसे ही कद्दावर वकीलों को क्यों नहीं खड़ा किया गया ? उन्होंने कहा कि क्या इससे निजता के अधिकार का हनन होता है? क्या यह कवायद सर्वे की आड़ में जनगणना है? इसके लिए कानून क्यों नहीं बनाया गया? उन्होंने कहा कि सरकार के वकील इन तीनों सवालों पर अपनी दलील से न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर पाये. इससे लगता है कि सरकार यह मुकदमा जीतना ही नहीं चाहती थी .
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सुशील मोदी ने कहा कि स्थानीय निकायों में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने के मुद्दे पर भी सरकार को झुकना पड़ा था. आयोग की रिपोर्ट अब तक जारी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि जनगणना हो या आरक्षण, राजद को अतिपिछड़ा वर्ग पर नहीं, केवल एम-वाइ समीकरण पर भरोसा है. वे केवल दिखावे के लिए पिछड़ों की बात करते हैं.
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