बरोरह पंचायत के कई गांवों की ऐसी दुर्दशा, आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित

गया जिला मुख्यालय से 50 km दूर गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत के अलीगंज, महुगायींन, तरौंची,रौंदा गांवों में आजादी के इतने वर्षो के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित है.

गया जिला मुख्यालय से 50 km दूर गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत के अलीगंज, महुगायींन, तरौंची,रौंदा गांवों में आजादी के इतने वर्षो के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित है.

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Vineeta Kumari
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बरोरह पंचायत के कई गांवों की ऐसी दुर्दशा( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

गया जिला मुख्यालय से 50 km दूर गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत के अलीगंज, महुगायींन, तरौंची,रौंदा गांवों में आजादी के इतने वर्षो के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित है. स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश जनप्रतिनिधियों के लिए भी है, जो विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं. बदले में उन्हें कोरा आश्वासन देकर चले जाते हैं. सभी लोग कहते हैं कि विकास का कार्य करेंगे, लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि पलटकर देखने तक नहीं आता है. गांव में कच्ची रास्ते पर सिर्फ कीचड़ ही कीचड़ भरा है. बरसात के दिनों में लोग अपने घरों में ही कैद हो जाते हैं. बच्चे जहां स्कूल नहीं जा पाते हैं, वहीं गांव के बुजुर्ग को शौचालय के लिए बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है. 

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ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ गया तो पहले 4 व्यक्तियों को ढूढ़ना पड़ता है. हालांकि खाट पर टांगकर ले जाना होता है. अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, सब भगवान भरोसे चल रहा है. प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए स्थानीय किसानों ने अपनी-अपनी जमीन छोड़कर रास्ता बनाया, लेकिन बारिश में वह भी कीचड़ से भर जाता है. जिससे गांव से दूसरे गांव जाना तक बंद हो जाता है. 2km के रास्ते को 18 km की दूरी तय कर जाना होता है.

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अपने होश में गांव में सड़क नहीं देखी है. इसी तरह पूरी जिंदगी खत्म हो रही है, अब आने वाले पीढ़ी की भी इसी तरह कीचड़ को देख-देख जिंदगी गुजर रही है. बता दें कि गांव के बेटे-बेटियों को शादी तक करने में परेशानी होती है. जब कोई लड़का या लड़की वाले गांव में देखने आते हैं तो सड़क की वजह से शादी करने से इंकार कर चले जाते हैं. वहीं अतिथियों का ताना तक सुनना पड़ता है. गांव के स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि बारिश होने के बाद महिलाओं को कपड़ा उठाकर आना पड़ता है तो काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. बच्चे भी उसी कीचड़ में घुसकर पढ़ने आते हैं.

बरोरह पंचायत के मुखिया अनिरुद्ध प्रसाद यादव ने बताया कि गांव की ऐसी दुर्दशा वर्षो से है. कुछ गांवों में मिट्टी गिराई है. वहीं विधायक विनय कुमार से इस संबंध में बात की गई है. सड़क बनवाने का आश्वासन दिया गया है और कहा कि इसके लिए संबंधित विभाग, मुख्यमंत्री, गया जिला पदाधिकारी तक आवेदन दिया गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. वहीं इन गांवों में सड़क निर्माण कराने की मांग को लेकर अक्टूबर महीने से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.

 रिपोर्टर- अजीत कुमार

Source : News Nation Bureau

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