Bihar: बिहार में महिला खिलाड़ियों को दी जा रही खास ट्रेनिंग, खेल के साथ बेहतर होगा स्वास्थ्य

Bihar: बिहार में महिला खिलाड़ियों को खेल के साथ स्वास्थ्य के लिए क्षेत्र में भी विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. जिससे उनके खेल और स्वास्थ्य में भी सुधार हो रहा है.

Bihar: बिहार में महिला खिलाड़ियों को खेल के साथ स्वास्थ्य के लिए क्षेत्र में भी विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. जिससे उनके खेल और स्वास्थ्य में भी सुधार हो रहा है.

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Suhel Khan
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बिहार में महिला खिलाड़ियों को दी जा रही खास ट्रेनिंग

Bihar News: बिहार में इनदिनों खेल जगत में अनोखी क्रांति देखने को मिल रही है. जहां खेलों में जीत हार नहीं बल्कि महिला खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर चर्चा हो रही है. जिसमें पीरियड यानी मासिक धर्म के बारे में खुलकर बात हो रही है. जिसमें सिंपली स्पोर्ट फाउंडेशन और बिहार स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट अहम भूमिका निभा रही है. दोनों ही संगठनों ने महिला खिलाड़ियों की जमीनी स्तर पर जीवन बदलने का प्रयास शुरू किया है.

मासिक धर्म को लेकर हो रही खुली चर्चा

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बता दें कि इस की शुरुआत 2023 में हुई. जिसके तहत राजधानी पटना के अलावा सिवान और दरभंगा जैसे जिलों में वर्कशॉप्स का आयोजन हो रहा है. इन वर्कशॉप्स में 15 साल की उम्र से लेकर अलग-अलग खेलों से जुड़ी महिला खिलाड़ियों ने भाग लिया. वर्कशॉप के दौरान हैरान करने वाली बात पता चली. दरअसल, इनमें से ज्यादातर लड़कियां सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल तो करती थीं लेकिन उन्हें खून की कमी (हीमोग्लोबिन) या पीसीओएस जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. यही नहीं इन लड़कियों में दर्द और थकान की समस्या आम बात थी. लेकिन उन्हें सही सलाह या इलाज नहीं मिल रहा था.

कोच और अभिभावकों ने निभाई अहम भूमिका

इस कार्यक्रम के तहत पिछले साल कोच और खिलाड़ियों के लिए एक खास ट्रेनिंग रखी गई थी. जिसमें पीरियड को लेकर बातचीत में बदलाव देखने को मिला. क्योंकि इस ट्रेनिंग से पहले लड़कियां पीरियड के लिए 'पर्सनल प्रॉब्लम' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती थीं लेकिन ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अपनी बात को खुलकर कहना शुरू किया. कोचों को भी बताया गया कि पीरियड के दौरान खिलाड़ियों की ट्रेनिंग कैसे बदली जा सकती है. पोषण संबंधी सर्वे से पता चला कि ज्यादातर लड़कियां दिन में तीन बार खाना तो खाती हैं, बावजूद इसके उनमें प्रोटीन और जरूरी विटामिन की कमी है. जिससे उनका खेल और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहा है.

तकनीक से सुधर रही सेहत

इसके साथ ही इन महिला खिलाड़ियों के लिए इस साल एक नया कदम उठाया गया. दरअसल,'सिंपली बेरी' नाम कs व्हाट्सएप आधारित पीरियड ट्रैकर से महिला खिलाड़ियों के पीरियड और उससे जुड़े लक्षणों को आसानी से ट्रैक करना शुरू किया गया. इससे न सिर्फ उनकी जागरूकता बढ़ी है, बल्कि उन्हें ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से कोचिंग और ट्रेनिंग भी मिलने लगी.

खेलो इंडिया में हो रहा सिंपली पीरियड्स का इस्तेमाल

इसके साथ ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पहली बार ‘सिंपली पीरियड्स’ कियोस्क का इस्तेमाल किया जा रहा है. जहां खिलाड़ी अलग-अलग पीरियड प्रोडक्ट्स का खुद इस्तेमाल कर समझ रही हैं. साथ ही वे पीरियड और खेल पर खुलकर चर्चा भी कर रही हैं. यहां उन्हें मुफ्त पीरियड केयर किट्स भी उपलब्ध कराई जा रही है. इसके साथ ही कोच और माता-पिता के लिए भी छोटे-छोटे सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. जिससे वह इस विषय को ठीक से समझ सकें.

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