अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल बिहार (Bihar) के सुपौल अंतर्गत कोसी तटबंध के बीच बसे गांव कमरैल निवासी कामेश्वर चौपाल का कहना है कि ट्रस्ट में शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है, साथ ही अब दायित्व भी बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वैसे मर्यादा पुरुषोतम भगवान राम (Lord Ram) तो सभी के हैं, परंतु उनका मिथिला 'कनेक्शन' रहा है. आज भी प्रभुकृपा ही समझिए और संयोग देखिए कि अब जब राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण शुरू होगा, तब भी मिथिला 'कनेक्शन' रहेगा.
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9 नवंबर, 1989 को अयोध्या में राममंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल ने गुरुवार को आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, 'यह दिन उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे खुशी का दिन है. मैंने जो संकल्प लिया था, आज उसकी पूर्ति करने का समय आ गया है.' मिथिलांचल को श्रीराम की पत्नी सीता का घर कहा जाता है. इसी इलाके के रहनेवाले कामेश्वर चौपाल का कहना है, 'हम राम को अपना रिश्तेदार मानते हैं. भगवान राम का बिहार और मिथिला कनेक्शन रहा है.'
उन्होंने कहा कि मिथिला में संपूर्ण चुनौती के लिए जो सामथ्र्य और शक्ति श्रीराम को चाहिए था, वह मिथिला ने उन्हें सीता के रूप में प्रदान किया था. राममंदिर का संघर्ष भी मिथिला से ही शुरू हुआ था. आज अयोध्या के जिलाधिकारी भी मिथिला के हैं. श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार के संयोजक रहे चौपाल ने आईएएनएस से कहा कि आज भी मिथिला क्षेत्र के लोग प्यार से भगवान राम को 'पहुना' ही मानते हैं. उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा, 'मां गीत गाकर मुझे सुनाया करती थी कि.. साग-पात तोड़ि-तोड़ि गुजर करेबै, अहां कहां जायब, पहुना मिथिले में रहियौ. मैंने इस गीत पर अपनी मां से सवाल किया कि श्रीराम तो भगवान हैं तो फिर पहुना क्यों? मां का उत्तर था कि दुनिया के लिए भले ही वे भगवान हैं, परंतु मिथिला के तो पाहुन ही हैं श्रीराम.'
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उन्होंने कहा, 'पुरखों ने जो बचपन में संस्कार भरा था, वही समर्पण के रूप में सदैव मेरे साथ रहा है. वैसे तो इष्टदेव और उधर मिथिला से संबंध यानी हमारा तो दोनों संबंध साकार हुआ है.' मिथिला क्षेत्र में शादी के दौरान वर-वधू को राम-सीता के प्रतीकात्मक रूप में देखने की प्रथा आज भी विद्यमान है. ट्रस्ट के सदस्य बनाए जाने पर चौपाल का कहना है, 'मैं इसे जिम्मेदारी के रूप में लूंगा. मेरा जीवन राममंदिर के लिए ही है. मेरी आंखों से संघर्ष कभी ओझल ही नहीं हुआ.'
चौपाल ने मंदिर निर्माण का कार्य कब शुरू होगा और कब पूरा होगा, इस बाबत तो स्पष्ट कुछ नहीं कहा, लेकिन इतना जरूर कहा कि भव्य मंदिर बनने में पांच साल तो जरूर लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि लंबे समय से हिंदू समाज की जो भावना थी, उसका पालन हुआ है.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी शिलान्यास कार्यक्रम के क्रम में 9 नवंबर, 1989 के दिन आयोध्या में मौजूद थे. उस समय पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने शिलान्यास के लिए पहली ईंट कामेश्वर चौपाल से रखवाई थी. चौपाल इसके बाद राजनीति में आ गए. अपने राजनीतिक जीवन में वे वर्ष 2002 से 2014 तक भाजपा के विधान पार्षद रह चुके हैं. चौपाल विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.
Source : IANS