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Navratri: आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ, जानें कब है पूजा करने का शुभ मुहूर्त

आज 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. कलश स्थापना के साथ ही देवी उपासना का नौ दिनों का अनुष्ठान शुरू हो गया है.

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Rashmi Rani
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मां शैलपुत्री ( Photo Credit : फाइल फोटो )

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आज 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. कलश स्थापना के साथ ही देवी उपासना का नौ दिनों का अनुष्ठान शुरू हो गया है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. आज मां शैलपुत्री का दिन है. मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आ जाती है. मां की आराधना से इंसान के धैर्य और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है. जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं. मां उनपर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं. उन्हें सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. 

 कौन हैं देवी शैलपुत्री

आज नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. जिसके बाद मां के प्रथम स्परुप शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री के पिता राजा हिमालय हैं और यहीं कारण है कि उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. मां वृषभ पर विराजती हैं. मां के रूप की अगर बात करें तो उनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल है. देवी शैलपुत्री को दृढ़ता का प्रतीक भी माना जाता है. मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था. 

मां शैलपुत्री की कहानी

कहा जाता है कि एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ करवाने का फैसला किया. जिसमें सभी देवी देवताओं को बुलाया गया था. मां सती जो मां शैलपुत्री का ही स्वरूप हैं. उन्हें ये पूरा भरोसा था कि उन्हें भी बुलाया जाएगा, क्योंकि प्रजापति दक्ष उनके पिता थे, लेकिन वो भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे. वो नहीं चाहते थे कि मां सती की शादी उनसे हो लेकिन मां ने उन्हीं से शादी की. ऐसे में प्रजापति दक्ष ने उन्हें निमंत्रण नहीं भेजा, लेकिन फिर भी मां वहां जाना चाहती थी. भगवान शिव ने बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं मानी और यज्ञ में चली गई. जब मां वहां पहुंची तो किसी ने भी उनसे बात नहीं कि केवल उनकी मां ने उन्हें गले से लगाया. बिना निमंत्रण आने पर सभी उनका अपमान करने लगे उनके पिता प्रजापति दक्ष ने भगवान शिव का बहुत अपमान किया जो कि मां सह नहीं पाई और उसी यज्ञ की अग्नि में अपने प्राण त्याग दिए. जिसके बाद मां सती ने ही राजा हिमालय के यहां जन्म लिया. जिस कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. 

मां को सफेद रंग की वस्‍तुएं हैं प्रिय

मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद ही पसंद है. इसलिए नवरात्रि के पहले दिन सफेद वस्तुएं ही अर्पित करें. जैसे कि सफेद वस्त्र, सफेद फूल, सफेद रंग की मिठाई का भोग भी मां को लगाना चाहिए. मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है. मां की उपासना करने से व्यक्ति निरोगी रहता है.

पूजन विधि

सबसे पहले आप अपने घर में मां शैलपुत्री को स्थापित करने की जगह पर लाल वस्त्र बिछाएं और फिर मां की तस्वीर स्थापित करें. जिसके बाद आप अपने हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी की अराधना करें. मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, अर्पित करें. जिसके बाद आप माता के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें.

मां शैलपुत्री का मंत्र 

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

HIGHLIGHTS

  •  कौन हैं देवी शैलपुत्री
  • मां शैलपुत्री की कहानी
  • मां को सफेद रंग की वस्‍तुएं हैं प्रिय

Source : News State Bihar Jharkhand

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