सत्यनारायण मांझी अपने जिले के लिए बने मिसाल, दोनों पैर ना होने के बाद भी चला रहे ई-रिक्शा

सरकार के तरफ से जब कोई भी मदद नहीं मिली तो हारकर खुद ही परिवार का जिम्मा उठाने का ठान लिया दोनों पैर ना होने के बाद भी आज सत्यनारायण ई-रिक्शा चलाते हैं उनके इस जज्बे को पूरा जिला सलाम कर रहा है.

सरकार के तरफ से जब कोई भी मदद नहीं मिली तो हारकर खुद ही परिवार का जिम्मा उठाने का ठान लिया दोनों पैर ना होने के बाद भी आज सत्यनारायण ई-रिक्शा चलाते हैं उनके इस जज्बे को पूरा जिला सलाम कर रहा है.

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Rashmi Rani
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सत्यनारायण मांझी ( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

जब आपके अंदर हिम्मत हो तो आप हर असंभव को भी संभव कर सकते हैं. कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है लखीसराय के सत्यनारायण मांझी ने जिसने खुद को इस लायक बनाया की विकलांग होने के बावजूद अपने परिवार का पेट पाल रहें हैं. सरकार के तरफ से जब कोई भी मदद नहीं मिली तो हारकर खुद ही परिवार का जिम्मा उठाने का ठान लिया दोनों पैर ना होने के बाद भी आज  सत्यनारायण ई-रिक्शा चलाते हैं उनके इस जज्बे को पूरा जिला सलाम कर रहा है. 

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सरकार द्वारा नहीं मिल रही कोई सुविधा

दरअसल, जिला समाहरणालय से 5 किलोमीटर दूर दामोदरपुर पंचायत के तेतरिया गांव में एक निशक्त सत्यनारायण मांझी जो दोनों पैर से लाचार हैं. जमीन के सहारे घसीटा कर दोनों हाथ के सहारे चलते हैं. उन्हें सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जा रही है. यहां तक कि करोना काल के समय से पेंशन भी बंद है. बावजूद इसके अपने परिवार का भरण पोषण ई-रिक्शा चलाकर कर रहे हैं. 

ई-रिक्शा चलाना किया शुरु 

उन्होंने बताया कि वह गरीब परिवार से हैं और करोना काल से ही उनको पेंशन भी नहीं मिल रहा है. कई बार कार्यालय का धक्का खा चुके हैं लेकिन उनका अभी तक पेंशन चालू नहीं हुआ. जब भुखमरी की समस्या आन पड़ी तो उन्होंने किसी से एक ई-रिक्शा किराए पर ले लिया जो 300 रुपये  प्रत्येक दिन निशक्त से भी लेता है. उसके बाद उन्होंने ई-रिक्शा चलाना शुरु किया. शुरुआती दौर में तो उन्हें परेशानी हुई लेकिन अब बेधड़क बाजार से सवारी को लाना ले जाना करते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण उसी से कर रहे हैं.

बदल गई उनके परिवार की जिंदगी 

देर शाम स्त्यानारण इ रिक्सा से तेतरिया से रिजर्व कर सदर अस्पताल एक मरीज को लेकर आए थे. उसी दौरान उन पर सभी की नजरें पड़ी और उनकी समस्या को जाना. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार सिर्फ वादा करती है, ढकोसला करती है. किसी को भी सही से धरातल पर सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है. बीच में रह रहे बिचौलिया सरकारी कर्मी निचले स्तर के लोगों ने परेशान कर रखा है. उसकी पत्नी ने कहा कि कुछ समय तो परेशानियां हुई लेकिन जब से यह ई-रिक्शा किराए पर लेकर चला रहे हैं तब से हम लोगों का भरण पोषण अच्छे से हो रहा है और अब हमारी जिंदगी बदल गई है. 

रिपोर्ट - अजय कुमार

HIGHLIGHTS

. सरकार के तरफ से नहीं मिली मदद
. दोनों पैर से हैं लाचार 
. ई-रिक्शा चलाकर कर रहे जीवन यापन 

Source : News State Bihar Jharkhand

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