सैंड आर्ट से बदली महिलाओं की किस्मत, घर बैठे मिला रोजगार

गया जिले के बोधगया में भारत सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शहरी क्षेत्र की महिलाओ को रोजगार के लिए जोड़ा गया है. इसके तहत महिलाओं का एक समूह बनाया गया है, जिसमें महिलाएं को प्रशिक्षण दिया जाता है.

गया जिले के बोधगया में भारत सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शहरी क्षेत्र की महिलाओ को रोजगार के लिए जोड़ा गया है. इसके तहत महिलाओं का एक समूह बनाया गया है, जिसमें महिलाएं को प्रशिक्षण दिया जाता है.

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Rashmi Rani
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सैंड आर्ट करती महिलाएं ( Photo Credit : फाइल फोटो )

गया जिले में केंद्र सरकार की योजना के कारण अब महिलाएं आत्म निर्भर बन रही है. जो महिला कभी घर में ही रहती थी आज वो घर से बाहर निकलकर खुद का रोजगार कर रही है. अपनी कला को दिखा रही है. प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं सैंड आर्ट से जुड़ रही हैं और इससे अच्छी आमदनी कर रही हैं. विदेशी पर्यटकों को ये खूब लुभा रहा है. फल्गु नदी के बालू से महिलाएं सैंड आर्ट कर रही हैं. जो की पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुका है.  

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सैंड आर्ट के जरिए महिलाओं को मिला रोजगार 

गया जिले के बोधगया में भारत सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शहरी क्षेत्र की महिलाओ को रोजगार के लिए जोड़ा गया है. इसके तहत महिलाओं का एक समूह बनाया गया है, जिसमें महिलाएं को प्रशिक्षण दिया जाता है और अब प्रशिक्षण प्राप्त कर घर बैठे महिलाएं अच्छी कमाई कर रही हैं. सैंड आर्ट से जुड़ी महिला सुधा सिंह ने बताया कि पहले वो घर में रहकर कामकाज करती थी, लेकिन केंद्र की इस योजना के बाद अब प्रशिक्षण लेने से अन्य महिलाओ के साथ घर पर हीं सैंड आर्ट बनाकर महिलाएं अच्छी आमदनी कर रही हैं.  

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बोधगया में आते रहते हैं विदेशी पर्यटकों 

महिलाओं ने बताया कि बोधगया में विदेशी पर्यटकों आते रहते हैं. ऐसे में उनकी अच्छी कमाई हो जाती है. सैंड आर्ट के जरिए वो विदेशी पर्यटकों के लिए भगवान बुद्ध का चित्र,पीपल के पत्तो को आकर्षक ढंग से सजाने सहित कई चित्रों को बनाती है और फिर इसकी बिक्री के लिए वो बोधगया में संचालित एक एनजीओ से संपर्क करती हैं. आपको बात दें कि बोधगया के भगवानपुर गांव में स्वयं सहायता समूह से कई महिलाएं जुड़ी हैं. जिसमें अधिकांश महिलाएं मुस्लिम हैं, लेकिन धर्म की दिवार को तोड़ते हुए वो भी फल्गु नदी के बालू से भगवान बुद्ध के अलावे अन्य धर्मों के भगवान का चित्र बनाती हैं. उन्होंने बताया की भारत सरकार के सिद्ध रिसर्च एंड कंसलटेंसी (SDRC) और  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एंट्रेन्योरशिप (IIE) के द्वारा प्रशिक्षण के बाद 10 हजार रुपए की सहयता राशि मिली है. इस राशि से वो अपने रोजगार को आगे बढ़ा रही हैं. 

HIGHLIGHTS

  • बोधगया में सैंड आर्ट के जरिए महिलाओं को मिला रोजगार 
  • प्रशिक्षण प्राप्त कर घर बैठे महिलाएं कर रही हैं अच्छी कमाई 
  • प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को मिली सहायता राशि 

Source : News State Bihar Jharkhand

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