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शिक्षक अभ्यर्थियों को घरों में नजरबंद कर निकाली जा रही 'समाधान यात्रा': सुशील मोदी

सुशील मोदी ने कहा कि सचिवालय सहायक पद के परीक्षार्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों में व्याप्त रोष के डर से नीतीश कुमार की यात्रा के दौरान चम्पारण में सैंकड़ों युवाओं को हाउस-अरेस्ट रखा गया. क्या युवाओं को घरों में नजरबंद करना समस्या का समाधान है?

Updated on: 06 Jan 2023, 08:35 PM

highlights

  • सुशील मोदी ने नीतीश की 'समाधान यात्रा' पर कसा तंज
  • समस्या का समाधान करने में सीएम की रुचि नहीं
  • युवाओं को हाउस-अरेस्ट कर निकाली जा रही यात्रा

Patna:

बिहार के सीएम नीतीश कुमार 'समाधान यात्रा' पर हैं और बीजेपी लगातार उनकी यात्रा को लेकर हमले बोल रही है. ताजा मामले में पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सीएम नीतीश कुमार की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम समाधान यात्रा पर निकले हैं. ये ऐसी यात्रा है जिसमें कोई जनसभा या लोगों से मुलाकात का कार्यक्रम नहीं है लेकिन बावजूद इसके सरकार को नीतीश के विरोध का डर सता रहा है और नीतीश कुमार जिस जिले में जा रहे हैं वहां वहां सचिवालय सहायक औऱ शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रशासन द्वारा उनके ही घरों में नजरबंद करके रखा जा रहा है.

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युवाओं को हाउस-अरेस्ट रखा गया

सुशील मोदी ने कहा कि सचिवालय सहायक पद के परीक्षार्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों में व्याप्त रोष के डर से नीतीश कुमार की यात्रा के दौरान चम्पारण में सैंकड़ों युवाओं को हाउस-अरेस्ट रखा गया. क्या युवाओं को घरों में नजरबंद करना समस्या का समाधान है? उन्होंने आगे कहा कि कहा कि  राजधानी में परीक्षार्थियों पर लाठीचार्ज को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जायज ठहरा रहे हैं और घटना के 48 घंटे बाद  सीएम और गृह विभाग के मंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उन्हें लाठीचार्ज की जानकारी ही नहीं.

 

बार-बार क्यों हो रहे पेपर लीक?

सुशील मोदी ने आगे कहा कि  ललन सिंह का ऐसा बयान संवेदनहीनता का सूचक है और सीएम को घटना की जानकारी न होना  चिंता की बात है. लाठीचार्ज पर या तो सीएम अनभिज्ञता का नाटक कर रहे हैं या अफसर उन्हें गुमराह कर रहे हैं. ये दोनों बातें चिंताजनक हैं. उन्होंने कहा कि पहले बीपीएससी का पर्चा लीक हुआ और आठ साल बाद जब सचिवालय सहायक पद के लिए परीक्षा हुई, तो इसके भी प्रश्नपत्र सार्वजानिक हो गए. इससे 9 लाख परीक्षार्थियों में असंतोष होना स्वाभाविक है. उनकी उम्र बढ़ रही है. बिहार में बार-बार पर्चे क्यों लीक हो रहे हैं? परीक्षार्थी अब यदि पूरी परीक्षा रद करने की मांग कर रहे हैं, तो सरकार इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना रही है?

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समस्या का समाधान करने में सीएम की रुचि नहीं

सुशील मोदी ने आगे कहा कि रेलवे की परीक्षा में डेढ़ करोड़ परीक्षार्थी बैठते हैं, लेकिन न कभी पर्चा लीक हुआ, न धांधली की शिकायत मिली. राज्य सरकार को बडे पैमाने पर नौकरी-नियुक्ति की सभी परीक्षाएं कम्पयूट-आधारित या ऑनलाइन करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार फूलप्रूफ परीक्षाओं के लिए केंद्र सरकार की तरह टीसीएस जैसी साफ्टवेयर कंपनियों की सेवाएँ ले सकती है, लेकिन सीएम की रुचि किसी समस्या का समाधान करने में नहीं, "समाधान यात्रा" की राजनीति करने में है.