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बिहार का एक गांव बना स्वच्छता की मिसाल, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड का सफाई मॉडल सफलता के झंडे गाड़ रहा है. इस प्रखंड की चर्चा बिहार के साथ दिल्ली में भी हो रही है. 

Updated on: 18 Oct 2022, 05:03 PM

Muzaffarpur:

मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड का सफाई मॉडल सफलता के झंडे गाड़ रहा है. इस प्रखंड की चर्चा बिहार के साथ दिल्ली में भी हो रही है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खुद यहां के मुखिया, DC और BDO को सम्मानित किया. मॉडल की सफलता को देख अब पूरे बिहार में इसे लागू करने की बात कही जा रही है. मुजफ्फरपुर का सकरा प्रखंड अब पूरे बिहार में सफाई का रोल मॉडल बन रहा है. गांव की सड़कें भले ही पक्की ना हो, लेकिन इन सड़कों पर आपको कचरे का एक तिनका भी नहीं दिखेगा. 

गली-गली में कचरा उठाने वाली गाड़ियों की आवाज आपको हर कुछ घंटे बाद सुनाई देगी. इन गाड़ियों में भी सूखे और गीले कचरे के लिए अलग-अलग कम्पार्टमेंट बने होते हैं. छोटी-छोटी गाड़ियों पतली गलियों में भी आसानी से चली जाती है, ताकि लोगों को कचरा फेंकने के लिए कहीं दूर ना जाना पड़े. प्रखंड में साफ-सफाई का ये सिस्टम इतना सफल हुआ कि प्रखंड के मॉडल को राष्ट्रपति की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.

सकरा प्रखंड के गांव आज स्मार्ट सिटीज़ के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं. गांव में स्वच्छता मित्र हर घर से गीला और सूखा कचरा ले जाते हैं. इस कचरे को एक जगह इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद स्वच्छता मित्र कचरे को अलग-अलग हिस्सों में बांटते हैं. कागज और कार्टन वाले कचरे को एक तरफ, शीशा, लेदर, ई-कचरा और प्लास्टिक के साथ सभी तरह के कचरे के लिए अलग-अलग कम्पार्टमेंट बनाए गए हैं. यहां से गीले कचरे को वर्मी कम्पॉस्ट में तब्दील किया जाता है और बाकी को री-साइकल के लिए रख दिया जाता है. गांव का नजारा भी बेहद दिलचस्प लगता है. गांव में जगह-जगह स्वच्छता के संदेश लिखे मिलेंगे. अलग-अलग कचरे का किस तरह इस्तेमाल किया जाता है ये भी दीवारों पर लिखा मिल जाता है.

प्रखंड के बिशुनपुर बहनगरी, सकरा वाजिद और सरमस्तपुर पंचायत कचड़ा प्रबंधन का बेहतर मिसाल कायम कर रही है. प्रशासन, पंचायत और आम लोगों के सहयोग का ही नतीजा है कि सफाई में इन पंचायतों ने इतिहास रच दिया है. उम्मीद है कि सकरा प्रखंड के पंचायतों से दूसरे गांव भी प्रेरित होंगे ताकि स्वस्छ भारत का मिशन जल्द पूरा हो सके.

रिपोर्ट : नवीन कुमार ओझा