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फिर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, जानिए गिरावट के पीछे का गणित

एक वक्त पर सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में एक समय ऐसा था जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 1 रुपए के बराबर थी, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था से अंग्रेजी हुकुमत का साया हटते ही 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरी और कीमत गिरकर 4.76 रुपए पर पहुंच ग

Updated on: 21 Jul 2022, 04:05 PM

Patna:

एक वक्त पर सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में एक समय ऐसा था जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 1 रुपए के बराबर थी, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था से अंग्रेजी हुकुमत का साया हटते ही 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरी और कीमत गिरकर 4.76 रुपए पर पहुंच गई. जिसके बाद से ही रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले लगातार गिरती चली गई और आज भी 1 डॉलर की कीमत 80 रुपये को पार कर चुकी है . 

80 रुपए प्रति डॉलर के ऊपर ट्रेड कर रहा रुपया
रुपये की रिकॉर्ड तोड़ गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. 21 जुलाई 2022 को भारतीय करेंसी शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की गिरावट के साथ 80.06 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया. Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया 80.0013 से 80.0638 की रेंज के बीच ट्रेड कर रहा था. ऐसा पहली बार है जब रुपए ने 80 डॉलर के ऊपर ट्रेडिंग दर्ज की है. एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट दर्ज हुई है.

डॉलर के मुकाबले रुपये के लुढ़कने की वजह
रुपये की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है. जैसे महंगाई, रोज़गार, विदेशी मुद्रा भंडार, मार्केट का उतार चढ़ाव, इंटरेस्ट रेट और GDP. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ा कारण फॉरन रिज़र्व में गिरावट होना भी होता है. विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने पर रुपया कमज़ोर होगा और ज्यादा होने पर रुपया मज़बूत होगा. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ समय में कम हुआ है. जिसकी सबसे अहम कारण महंगाई और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को बताया जा रहा है. यही वजह है कि रुपये की वैल्यू गिरती जा रही है.