मंडल दिवस पर राजद सड़कों पर, जातिगत जनगणना पर तेज हुई रार

कई प्रमुख दल भले ही जातीय जनगणना को लेकर मुखर हैं, लेकिन पार्टी के नंबर एक की कुर्सी पर सवर्ण जाति के ही नेता बने हुए हैं.

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Nihar Saxena
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Bihar

जातिगत जनगणऩा पर पटना में सड़कों पर राजद कार्यकर्ता.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

मंडल दिवस के मौके पर पटना की सड़कों पर जातीय जनगणना की मांग को लेकर राजद नेता और कार्यकर्ता शनिवार को उतरे. इस लिहाज से देखें तो बिहार में जाति के आधार पर राजनीति कोई नई बात नहीं है. सत्ता पक्ष के कई दल हो या विपक्षी दल इन दिनों जातिगत जनगणना को लेकर एक सुर में बोल रहे हैं, लेकिन ये दल सवर्ण मतदाताओं में भी अपनी पकड़ मजबूत करने में चूक करना नहीं चाहती हैं. बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों पर गौर करें तो सभी दलों में सवर्ण नेताओं की पूछ बढ़ी है. ऐसा नहीं कि यह कोई पहली मर्तबा हो रहा है. गौर से देखें तो कई प्रमुख दल भले ही जातीय जनगणना को लेकर मुखर हैं, लेकिन पार्टी के नंबर एक की कुर्सी पर सवर्ण जाति के ही नेता बने हुए हैं.

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राजद की सोशल इंजीनियरिंग
राजद की बात करें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप भले ही इस पार्टी का नेतृत्व लालू प्रसाद के हाथ में हो, लेकिन बिहार प्रदेश की कमान जगदानंद सिंह संभाल रहे हैं, जो राजपूत जाति से आते हैं. वैसे राजद का वोट बैंक यादव और मुस्लिम माना जाता है. माना यह भी जाता कहा कि राजद सामाजिक न्याय की राजनीति करती रही है. बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) की बात करें तो इस पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'सोशल इंजीनियरिंग' का माहिर खिलाड़ी माने जाते है. ऐसे में जदयू की मजबूती 'लव कुश' समीकरण के साथ-साथ अति पिछड़ों में मानी जाती है.

जदयू साध रही सवर्ण मतदाताओं को भी
ऐसे में जदयू ने हाल में मुंगेर के सांसद ललन सिंह को पार्टी की कमान देकर सवर्ण को साधने की कोशिश में जुट गई है. इधर, कांग्रेस बिहार में प्रारंभ से ही सवर्ण मतदाताओं की पार्टी मानी जाती है. प्रारंभ में सवर्ण मतदाता कांग्रेस के साथ रहते रहे हैं, बाद में हालांकि ये मतदाता छिटक कर दूर चले गए. इसके बावजूद आज भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर मदन मोहन झा विराजमान हैं, जो ब्राह्मण समाज से आते हैं. ऐसे में कांग्रेस सवर्ण मतदाताओं को यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि उसके लिए सवर्ण मतदाता पहले भी महत्वपूर्ण थे और आज भी हैं.

बीजेपी तो है ही सवर्णों की पार्टी
भाजपा की पहचान सवर्ण की राजनीति करने वाली पार्टी के तौर पर होती है. ऐसे में देखा जाए तो भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर सांसद संजय जायसवाल विराजमान हैं, जो वैश्य जाति से आते हैं. भाजपा हालांकि जातीय आधारित जनगणना के विरोध में खड़ी नजर आ रही है. इसमें कोई दो राय नहीं कि बिहार की राजनीति जाति आधारित होती है. राजनीति में कई विवादास्पद मुद्दे जैसे राम मंदिर, जम्मू कश्मीर में धारा 370 का समाप्त होना, तीन तलाक कानून सहित कई मुद्दों की समाप्ति के बाद समाजवादी विचारधारा के समर्थन वाली पार्टियों के पास बहुत ज्यादा मुद्दे नहीं बचे हैं. भाजपा की पहचान सवर्ण समाज पार्टी के रूप में रही है. ऐसे में अन्य दल भी प्रतीकात्मक रूप से ही सही बडे पदों पर सवर्ण समाज से आने वाले नेताओं को बैठाकर यह संदेश देने की कोशिश में जुटी है कि उनके लिए सवर्ण समाज से आने वाले लोग भी महत्वपूर्ण हैं.

HIGHLIGHTS

  • जातिगत जनगणना की मांग पर राजद सड़क पर
  • जदयू भी विपक्ष के साथ इस मसले पर मिला रही सुर
  • हालांकि सभी का ध्यान सवर्णों पर भी, दे रहे बड़े पद
जदयू प्रदर्शन JDU Agitation राजद बिहार RJD Bihar Nitish Kumar Caste Census नीतीश कुमार caste politics जातिगत जनगणना
      
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