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RJD बिहार प्रदेशाध्यक्ष दे सकते हैं अपना इस्तीफा, बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे से नाराज हैं जगदानंद

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

Updated on: 06 Oct 2022, 07:24 PM

Patna:

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि जगदानंद सिंह अपने बेटे और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की राह पर चलने के लिए तैयार हैं. प्रदेश अध्यक्ष के पद को परित्याग करने का फैसला ले लिया है. अपना त्यागपत्र राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव को सौंपेंगे. शुक्रवार को दिल्ली में लालू यादव से मुलाकात कर अपना इस्तीफा दे सकते हैं. दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद स्थिति साफ होगी. आपको बता दें कि हाल में ही पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया था. सुधाकर सिंह के इस्तीफे को जगदानंद सिंह ने बलिदान बताया था.

आपको बता दें कि रोहतास के कोचस में एक निजी हॉस्पिटल के उद्घाटन कार्यक्रम में पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शिरकत की. इस दौरान वो अपने पिता के इस्तीफा देने के सवाल पर बचते हुए नजर आए. उन्होंने मीडिया के सवालों पर पूरी तरह से चुप्पी साध ली. वहीं, इस दौरान दिनारा विधानसभा के विधायक विजय कुमार मंडल ने कहा कि जगदानंद सिंह कुछ ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे पार्टी को नुकसान हो. उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह राजद को बनाने वाले हैं और किसी भी परिस्थिति में जगदानंद सिंह पार्टी के अहित में नहीं हो सकते. वहीं, सुधाकर सिंह का पक्ष लेते हुए विधायक विजय कुमार ने कहा कि सुधाकर सिंह किसान, मजदूरों की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब किसानों को सोचना है कि इस लड़ाई में उनका कितना साथ दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुधाकर सिंह के लड़ाई में अफसरशाही की जीत हुई है और लोकतंत्र की हार हो.

जानिए कौन हैं जगदानंद सिंह ?
लालू यादव के साथ में जगदानंद सिंह ने की लंबी राजनीति
अच्छे दोस्त भी माने जाते हैं लालू यादव और जगदानंद सिंह.
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को किया मजबूत
जगदानंद सिंह के नेतृत्व में पार्टी ने हासिल की बड़ी जीत.
लालू और तेजस्वी की पहली पंसद हैं जगदानंद सिंह.
जगदानंद सिंह लालू सरकार में रह चुके हैं मंत्री.
अनुशासन के कड़े माने जाते है जंगदानंद सिंह.
हमेशा चर्चाओं में रहता है सख्त अंदाज.
बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहे  बेटे के खिलाफ चलाया था कैंपेन.
पिता की वजह से सुधाकर सिंह को चुनाव में मिली थी हार.