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बिहार में मंदिरों, मठों और न्यासों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, BJP ने जताया विरोध

बिहार सरकार के विधि मंत्री डॉ. शमीम अहमद का एक बयान सामने आया हैं. जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार के कई जिलों में मौजूद गैर निबंधित मठ मंदिरों को धार्मिक न्यास बोर्ड से निबंधित कराया जाएगा.

Updated on: 07 Nov 2022, 07:22 PM

highlights

.मठ-मंदिरों के निबंधन पर विवाद
.एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 15 हजार मठ और मंदिर
.धार्मिक न्यास बोर्ड के अंतर्गत करीब 4600 मंदिर-मठ का निबंधन
.बिहार सरकार के पास नहीं है मठ-मंदिरों का पूरा डाटा
.मंदिरों और मठों की संपत्ति का विवरण भी नहीं

Motihari:

बिहार सरकार के विधि मंत्री डॉ. शमीम अहमद का एक बयान सामने आया हैं. जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार के कई जिलों में मौजूद गैर निबंधित मठ मंदिरों को धार्मिक न्यास बोर्ड से निबंधित कराया जाएगा. ताकि सरकारी रुपए से उसका विकास किया जा सके. बिहार के विधि मंत्री के दिए गए इस बयान के बाद विपक्ष के साथ-साथ राजनीतिक पंडित इस बयान के तरह-तरह के मायने लगा रहे हैं. मोतिहारी पहुंचे विधि मंत्री डॉ. शमीम अहमद ने एक बार फिर से बयान देते हुए कहा कि उनके बयान का एक ही मकसद है कि अगर गैर निबंधित मठ मंदिरों को अगर निबंधित कर दिया जाएगा. तो उसका विकास विधायक MLC फंड से भी किया जा सकता है.

इस बीच मीडिया ने सवाल किया कि क्या यूपी-केरल जैसे राज्यों में अवैध मस्जिदों को चिन्हित किया गया है. इसको लेकर मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि देश कि कई राज्यों कि सरकारें अपने-अपने तरीके से कार्य करती है ऐसे में उनके बयान को किसी अन्य राज्य से जोड़ने कि जरूरत नहीं है. इस बीच मंत्री ने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के नेताओं के पास अब कोई मुद्दा नहीं है. वे मुद्दाविहीन हो गए हैं. इसलिए हर मामले में पेंच फंसा रहे हैं.

आपको बता दें कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में करीब 10 से 15000 मंदिर और मठ हैं, लेकिन धार्मिक न्यास बोर्ड  के अंतर्गत करीब 4 हजार 600 मंदिर और मठ का ही निबंधन है. ऐसे में न्यास बोर्ड के पास ना तो कोई उचित डाटा है और ना ही इन मंदिरों और मठों की संपत्ति का विवरण. इन सभी धार्मिक स्थलों का संरक्षण काफी मुश्किल है. 

सरकार की मानें तो गैर पंजीकृत मंदिरों और मठों के प्रबंधन और निगरानी के मकसद से प्रखंड से लेकर जिलों तक अलग-अलग व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. हर जिले में एडीएम स्तर के नोडल पदाधिकारी तैनात रहेंगे जबकि सभी मंदिरों में सामाजिक लोगों की सहमति से अध्यक्ष और सचिव का चयन किया जाना है. बड़े मंदिरों की प्रबंध समिति में जिले के डीएम अध्यक्ष या सचिव किसी एक पद पर रहेंगे. प्रखंडों और सब डिवीजन में बीडीओ और सीओ स्तर के अधिकारियों को इस तरह की जिम्मेवारी सौंपी जाने की रणनीति बनाई गई है. विधि मंत्री की मानें तो सरकार को फैसला इसलिए लेना पड़ा क्योंकि बड़े स्तर पर मंदिरों और मठों की हजारों एकड़ जमीन पर अनाधिकृत रूप से कब्जे की लगातार शिकायत मिल रही थी. कई मामलों में सेवादार ही जमीन को बेच रहे हैं या फिर नियम के विरुद्ध अपने चहेतों को लीज पर उनके द्वारा जमीन दी जा रही है.