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RCP सिंह, उपेंद्र कुशवाहा औब अब मांझी ने छोड़ा JDU का साथ, CM नीतीश के लिए आसान नहीं लग रही 2024 और 2025 की लड़ाई!

बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे सीएम नीतीश कुमार को अपनी ही पार्टी से लगातार झटका पे झटका मिल रहा है. अगस्त-2022 में राजग से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ जेडीयू ने बिहार में नई सरकार बनाई.

Updated on: 17 Jun 2023, 07:39 PM

highlights

  • 11 माह में तीन दिगग्जों ने छोड़ा नीतीश का साथ
  • आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा के बाद जीतन राम मांझी ने भी छोड़ा साथ
  • तीनों ही की अपनी जाति के वोटरों पर अच्छी पकड़
  • आसान नहीं है सीएम नीतीश की आगे की राह

Patna:

बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे सीएम नीतीश कुमार को अपनी ही पार्टी से लगातार झटका पे झटका मिल रहा है. अगस्त-2022 में राजग से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ जेडीयू ने बिहार में नई सरकार बनाई. लेकिन इस 11 महीने में जेडीयू के कई दिग्गज अपने घर को छोड़ चुके हैं. आईए जानते हैं वे कौन-कौन से दिग्गज हैं जो जेडीयू के लिए आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव में भी जीत की राह में चट्टान की तरह खड़े हैं.

आरसीपी सिंह

सबसे पहले जेडीयू से बाहर हुए आरसीपी सिंह. कभी पार्टी में नंबर दो की भूमिका निभाने वाले आरसीपी सिंह 2010 में आईएएस पद से इस्तीफा देकर सीएम नीतीश के साथ राजनीतिक पारी की शुरूआत किया. सबसे बड़ी बात दोनों नालंदा जिला से ही संबंध रखते हैं. नीतीश ने उन पर भरोसा जताते हुए अपनी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बना दिया. यहां तक दो बार राज्यसभा भी भेजा.लेकिन 2019 में केंद्र में मंत्री पद के ललन सिंह और आरसीपी विवाद जगजाहिर है. ऐसे में धीरे-धीरे सीएम नीतीश और आरसीपी के बीच रिश्ते में दरार आने लगी और आखिरी में आरसीपी जेडीयू छोड़ बीजेपी का दामन थामा.

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उपेंद्र कुशवाहा

नीतीश कुमार के खासमखास में से एक उपेंद्र कुशवाहा ने इसी साल फरवरी में जेडीयू से अलग हो गए थे. और राष्ट्रीय लोक जनता दल नाम से नई पार्टी बनाई. सीएम नीतीश की तरह वे भी कुर्मी जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. ऐसे लवकुश समीकरण के फार्मूलें में वे सीएम नीतीश के सामने फिट बैठते हैं ऐसे में देखना होगा कि 15 प्रतिशत की आबादी वाली इस जाति पर कुशवाहा कितना अपना असर डाल पाते हैं

जीतन राम मांझी

हाल ही में सीएम नीतीश के सहयोगी और हम के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने भी महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है. दिवंगत राम विलास पासवान के बाद दलित समाज के बड़े नेता जीतनराम मांझी माने जाते हैं. ऐसे सीएम नीतीश के लिए 16 प्रतिशत वाली इस जाति पर पकड़ बनाना काफी कठिन लग रहा है. क्योंकि दलितों के बड़े नेताओं की रूख एनडीए की ओर है.

स्क्रिप्ट - पिन्टू कुमार झा