बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी उलटफेर, आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर हुए एक

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही बड़ा खेला हो गया है. नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी और कभी खास माने जाने वाले आरसीपी सिंह प्रशांत किशोर के साथ खड़े हो गए हैं.

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Ravi Prashant
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RCP Singh joined Prashant Kishor's party

आरसीपी सिंह Photograph: (X)

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सियासी गलियारों में एक बड़ा उलटफेर हुआ है. नीतीश कुमार के दो पुराने और विश्वासपात्र सहयोगी, आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर, अब एक साथ खड़े हैं. यह वही आरसीपी सिंह हैं जिन्होंने अपनी पार्टी "आसा" का जन सुराज में विलय कर दिया है, और अब वो प्रशांत किशोर की पार्टी का हिस्सा बन गए हैं. यह दोनों नेता पहले एक-दूसरे के सबसे बड़े विरोधी थे, लेकिन अब इनकी जुगलबंदी ने बिहार की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है.

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आरसीपी और पीके की पुरानी दुश्मनी

आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर का राजनीतिक इतिहास हमेशा से तनावपूर्ण रहा है. 2018 में प्रशांत किशोर ने जेडीयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर कदम रखा था, जबकि आरसीपी सिंह पार्टी के प्रमुख कर्ताधर्ता थे. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों के बीच मतभेद उभरने लगे थे. प्रशांत किशोर ने खुलकर ट्वीट कर पार्टी की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए, जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी जा रही थी.

नागरिकता कानून पर भी हुआ था खुला टकराव

2020 में नागरिकता कानून पर आरसीपी और पीके के विचार पूरी तरह से विपरीत थे. जहां आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार के 15 साल के कार्यकाल को चुनावी मुद्दा बनाने का समर्थन किया, वहीं प्रशांत किशोर भविष्य की राजनीति पर जोर दे रहे थे. यह खींचतान इतनी बढ़ी कि जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने लगातार तीन दिनों तक प्रशांत किशोर पर हमला किया, जिससे पीके का यह स्पष्ट हो गया कि यह सब कुछ नीतीश कुमार की मंजूरी से हो रहा था.

नई शुरुआत और बीजेपी पर तंज

अब, आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर दोनों नीतीश कुमार के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं. तेजस्वी यादव ने इस घटनाक्रम को लेकर इशारों-इशारों में यह कहा कि आरसीपी और पीके के बीच इस साझेदारी के पीछे कोई बड़ा खेल हो सकता है, और उनका इशारा बीजेपी की तरफ था. तेजस्वी का मानना है कि बीजेपी की कोशिश जेडीयू को कमजोर करना है.

आरसीपी सिंह का जन सुराज में योगदान

2024 में अपनी अलग पार्टी बनाने के बाद आरसीपी को कोई खास सफलता नहीं मिली थी, लेकिन अब जब उन्होंने जन सुराज जॉइन किया है, प्रशांत किशोर ने इस फैसले को सराहा है. पीके का मानना है कि आरसीपी सिंह का सामाजिक और प्रशासनिक अनुभव जन सुराज के लिए फायदेमंद साबित होगा.

जेडीयू ने दोनों को निशाना बनाया

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर दोनों पर हमला बोलते हुए आरसीपी को "राजनीति का विषैला कीटाणु" तक कह डाला. वहीं, पीके पर तेलंगाना की कंपनियों से आर्थिक लेन-देन का आरोप भी लगाया गया.

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