रामेश्वर जूट मिल एक बार फिर हुआ बंद, हजारों मजदूरों पर रोजगार का गहराया संकट
उत्तर बिहार का एकलौता रामेश्वर जूट मिल एक बार फिर बंद हो गया. मिल के श्रमिक अपनी सुविधा में की गयी कटौती के विरोध में तीन दिनों से आंदोलनरत थे. इससे खुला होने के बावजूद जूट मिल में ना काम हो रहा था और ना तैयार माल बाहर ही निकल पा रहा था.
highlights
. तीन दिनों से आंदोलनरत थे श्रमिक
. लोगों को नहीं मिल रही थी सुविधा
. रोजगार का गहराया संकट
Samastipur:
समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर मुक्तापुर स्थित उत्तर बिहार का एकलौता रामेश्वर जूट मिल एक बार फिर बंद हो गया. मिल के श्रमिक अपनी सुविधा में की गयी कटौती के विरोध में तीन दिनों से आंदोलनरत थे. इससे खुला होने के बावजूद जूट मिल में ना काम हो रहा था और ना तैयार माल बाहर ही निकल पा रहा था. जिससे मिल को हो रही क्षति को देख प्रबंधक पीके पांडेय ने काम बंद करने की सूचना नोटिस बोर्ड पर लगा दी, नोटिस में 14 नवंबर सुबह 6 बजे की पाली से नो वर्क नो पे के तहत काम स्थगित करने की जानकारी देने के साथ कहा गया है कि जूट मिल में अब उन्हीं कर्मचारियों को प्रवेश करने दिया जाएगा जो आवश्यक सेवा से जुड़े हुए हैं.
जूट मिल किया गया बंद
जूट मिल प्रबंधन ने मिल बंद होने की सूचना डीएम, एसपी, कारखाना निरीक्षक, श्रम अधीक्षक समेत प्रखंड प्रशासन को भी दी है. जिसको लेकर मिल के परिसर में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. बता दें कि, जूट मिल के श्रमिकों ने पूर्व में दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती करने के विरोध में गुरुवार को आंदोलन शुरू किया था. पहले दिन जूट मिल के प्रबंधन कार्यालय का घेराव करने के साथ-साथ गो स्लो आंदोलन शुरू कर दिया था. जिससे जूट मिल खुला रहने के बाद भी ना तो उत्पादन हो रहा था और ना ही तैयार कच्चा माल बाहर ही भेजा जा रहा था. 3 दिनों तक प्रबंधन एवं श्रमिकों के बीच वार्ता होने के बाद कोई सकारात्मक निर्णय नहीं हो सका और श्रमिकों एवं प्रबंधन के बीच गतिरोध बरकरार ही रहा जिसके कारण जूट मिल बंद हो गया.
लोगों को नहीं मिल रही थी सुविधा
वहीं, मजदूरों का कहना है कि मिल प्रबंधक ने जिस दलील के साथ नोटिस लगाया है वो सरासर झूठ है हम लोगों को सुविधा नहीं दिया जा रहा है. मिल खुला होने के बाबजूद मजदूरों को काम नहीं दिया जा रहा था मजदूरों के इन्सुरेंसे खत्म किया जा रहा था, बकाया भुगतान नहीं किया गया है, पीएफ मद की भी मिल पर बकाया है. 2010 से ग्रेजुटी व 2016 से ईपीएफ मद की राशि लंबित है. इन्हीं मांगो को लेकर हमलोग आंदोलन कर रहे थे लेकिन मिल प्रबंधक ने बंद का नोटिस लगा दिया. दूसरी तरफ मिल प्रबंधक का कहना है की मिल खुला होने के बाबजूद ना मिल में काम हो रहा था ना ही उत्पादन बाहर जा रहा था. जिससे मिल प्रबंधन को काफी छती हो रही थी जिस कारण मिल बंद करना पड़ा.
बन्द से है काफी पुराना नाता
रामेश्वर जूट मिल मुक्तापुर का बन्द से काफी पुराना नाता भी रहा है. महाराजा का मालिकाना हक हटते ही यह कुप्रबंधन का शिकार हो गया. बाद के दिनों में यह कई लोगों के हाथों बिका परंतु किसी ने भी इस मिल को आधुनिक रूप से सुसज्जित नहीं किया. जिससे उत्पादन में कमी होने लगी. वैसे रामेश्वर जूट मिल मुक्तापुर की स्थापना 1926 में हुई थी. 84 एकड़ में यह फैला हुआ है. मिल के बंद होने से हजारों मजदूरों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.
इनपुट - मंटून कुमार रॉय
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