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5 MLC के इस्तीफे के बाद खतरे में राबड़ी देवी की कुर्सी, नहीं रह पाएंगी नेता प्रतिपक्ष

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही राष्ट्रीय जनता दल RJD की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पांच विधान पार्षदों के इस्तीफा देने से पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. पांचों पार्षद RJD से इस्तीफा देकर JDU में शामिल हो गए.

Updated on: 24 Jun 2020, 09:41 AM

पटना:

बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव से पहले ही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पांच विधान पार्षदों के इस्तीफा देने से पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. पांचों पार्षद RJD से इस्तीफा देकर JDU में शामिल हो गए. इसको लेकर राबड़ी देवी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल आ गई है. राबड़ी देवी को अपना पद भी बचाना मुश्किल हो गया है. 5 पार्षद के जेडीयू में शामिल होने से राबड़ी देवी की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. 75 सदस्यों वाली बिहार विधान परिषद में पांच विधान पार्षदों के इस्तीफे से पहले आरजेडी की संख्या 8 थी, जो अब घटकर 3 पर आ गई है.

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बता दें कि बिहार विधान परिषद में संख्या बल के आधार पर किसी भी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए 8 सदस्य होने चाहिए. 6 जुलाई को बिहार विधान परिषद के रिक्त हुए 9 सीटों के लिए चुनाव होना है. 9 सीटों पर होने वाले चुनाव में जेडीयू और आरजेडी को 3-3, बीजेपी को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलनी तय है. बिहार विधान परिषद के 9 सीटों पर चुनाव के बाद भी आरजेडी की संख्या बल 3 से बढ़कर 6 तक पहुंच सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद बचाना लगभग असंभव है.

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बिहार में अगले महीने विधान परिषद की नौ सीटों के लिए होने वाले चुनाव तथा इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को को एक साथ दोहरा झटका लगा है. राजद के पांच विधान पार्षदों ने जहां पार्टी छोड़कर जनता दल (युनाइटेड) का दामन थाम लिया, वहीं पार्टी के कद्दावर नेता और उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. राजद के विधान पार्षद राधाचरण सेठ, दिलीप राय, कमरे आलम, संजय प्रसाद, रणविजय सिंह मंगलवार को पार्टी छोड़कर जद (यू) में शामिल हो गए. विधान परिषद ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है.

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बिहार विधान परिषद की तरफ से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, राजद के आठ में दो तिहाई यानी पांच विधान पार्षदों ने एक अलग समूह बनाकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया और सत्तारूढ़ दल जदयू में शामिल हो गए. विधान परिषद के कार्यकारी सभापति के आदेश से उनके विलय को स्वीकृति भी मिल चुकी है.