पूर्णिया का पुरणदेवी मंदिर जितना पुराना है, उतना ही पुराना इस मंदिर का इतिहास है. दस महाविद्या से पूर्ण पूरणदेवी मंदिर अपने में 6 सदी के इतिहास को समेटे है. 600 साल पुराने इस मंदिर में वैसे तो साल के पूरे दिन भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि में यहां सिर्फ पूर्णिया या बिहार ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं. पूरणदेवी मंदिर पूर्णिया शहर से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है. साथ ही पुरणदेवी के नाम पर ही पूर्णिया की पहचान है. देवी के इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, ऐसी मान्यता है कि यहां माता के दर्शन से भक्तों की सारी मुरादे पूरी होती है.
600 साल पुराने मंदिर पुरणदेवी का जानिए इतिहास
दशो विद्या की देवी से पूर्ण भारत के एक मात्र पुरणदेवी मंदिर है. कहा जाता है कि पांच सौ साल पहले एक साधु बाबा हठीनाथ को स्वप्न में मां पूरणदेवी ने दर्शन दिया था. उसी समय पास के तालाब से माता की प्रतिमा मिली और उसे स्थापित किया गया. ये मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र इसलिए भी है क्योंकि यहां दसों महाविद्याओं की एक साथ पूजा अर्चना होती है. पुरणदेवी मां की शक्ति और लोगों की आस्था को देखते हुए ही पूर्णिया का नाम पुरैनिया रखा गया जो बाद में पूर्णिया नाम से जाना गया.
माता के दर्शन से होती है हर मनोकामना पूर्ण
मंदिर में पूजा करने आये श्रद्धालु कहते हैं कि यहां सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वो पूरी हो जाती है. मां अपने सभी भक्तों की मुरादे पूरी करती हैं. शारदीय नवरात्रि के मौके पर पुरणदेवी मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ता है. मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में चढ़ावा भी चढ़ाते हैं.
HIGHLIGHTS
- पूर्णिया का पुरणदेवी मंदिर का जानिए इतिहास
- 600 साल पुराने मंदिर का है खास महत्व
- माता के दर्शन से होती है हर मनोकामना पूर्ण
Source : News State Bihar Jharkhand