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जेल में बंद कैदी की मौत, परिजनों ने लगाया जेल प्रशासन पर आरोप

जिले के विभिन्न जेलों में कैदियों के मरने का सिलसिला अब भी जारी है. इसे स्वाभाविक मौत कहें या फिर जेल प्रशासन की लापरवाही.

Updated on: 07 Oct 2022, 01:55 PM

Madhepura:

जिले के विभिन्न जेलों में कैदियों के मरने का सिलसिला अब भी जारी है. इसे स्वाभाविक मौत कहें या फिर जेल प्रशासन की लापरवाही, लेकिन पिछले ढ़ाई माह में मधेपुरा और उदाकिशनगंज जेल में 12 से ज्यादा कैदियों की मौत के बाद जेल प्रशासन पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जहां बीते देर रात को उदाकिशुनगंज अनुमंडल कारा में बंद हत्याकांड के एक विचाराधीन कैदी की मौत हो गई. मृतक कैदी के परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. दरअसल, ताजा मामला मधेपुरा से है, जहां उदाकिशुनगंज जेल में हत्या मामले में बंद 40 वर्षीय कैदी शंकर सिंह  की मौत हो गई है. कैदी की मौत हार्ट अटेक से होने की बात सामने आयी है.

कैदी चौसा थाना क्षेत्र के लौआलगान खौपड़िया टोला वार्ड नंबर 11 का रहने वाला बताया गया है. वह पिछले एक साल से हत्या के एक मामले में जेल में बंद था. कैदी पर कई सारे मामले दर्ज होने की बात कही जा रही है. स्वजन जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. स्वजन का कहना है कि कैदी को पहले से किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी. ऐसे में अचानक मौत होना संदेह पेदा करता है. हालांकि, जानकारी के अनुसार कैदी शंकर सिंह गुरुवार की दिन सीने में दर्द की शिकायत लेकर जेल के भीतर के अस्पताल में गए. वहां चिकित्सक नहीं रहने के कारण उनकी हालत गंभीर हो गए, उसके बाद जेल कर्मियों ने पीएचसी प्रभारी को सूचना दी. कैदी को पीएचसी लाया गया, जहां परिक्षण के साथ ही अस्पताल में मौजूद चिकित्सक ने कैदी को मृत घोषित कर दिया. जहां जेल प्रशासन ने शव के पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल मधेपुरा भेज दिया.

इस बीच जेल प्रशासन ने मौत की खबर स्वजन और वरीय अधिकारी को सूचना दी. वहीं जेल पहुंचे स्वजन ने सीधे तौर पर जेल प्रशासन पर जान बुझकर कैदी को मौत के नींद सुलाने का आरोप लगाया है. कैदी शंकर के भतीजे नीतीश कुमार ने बताया कि उसके चाचा को पहले से कोई बीमारी नहीं थी. जेल प्रशासन ने स्वजन को खबर नहीं दी, स्वजन ने बताया कि दुर्गा पूजा संपन्न होने के बाद घर से प्रसाद लेकर कैदी से मिलने आया था, जहां जेल वालों ने कुछ घंटों तक तो कैदी के बारे में कुछ बताया ही नहीं.

रिपोर्टर- रूपेश कुमार