बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) ने प्रेमचंद्र गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा (Rajya Sabha) का उम्मीदवार बनाया है. चंद घंटों के अंदर दोनों उम्मीदवारों ने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. इन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा गुरुवार सुबह राजद ने पटना (Patna) में की. राजद के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया.
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राजद की इस बाबत एकतरफा घोषणा चौकाने वाली है. ऐसा इसलिए है कि कांग्रेस लगातार अपने उम्मीदवार के लिए राजद पर दबाव बनाए हुए थी. खुद बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पत्र लिखकर राजद को अपना वादा निभाने को कहा था. लेकिन कांग्रेस की तरफ से लगातार बन रहे दबाव के बाद भी राजद प्रमुख लालू यादव ने अपने खास लोगों को राज्यसभा भेजना का फैसला किया.
पार्टी के एमएलसी और प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा ने हमारे संवाददाता रजनीश सिन्हा से बातचीत में कहा कि वादा याद कराना लालू जी को हमारा काम था और वादाखिलाफी उनका काम. कांग्रेस नेता ने कहा कि गठबंधन धर्म का पालन होना चाहिए, जो काम उन्होंने किया वो अच्छे लोगों का काम नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मूल्य आधारित राजनीति करती है, मगर बार बार कांग्रेस कुर्बानी दे ये जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लोग दूसरे दलों में नहीं जाएंगे. हम गठबंधन का आकार बढ़ाना चाहते हैं, मगर सम्मान से समझौता अब नहीं होगा.
मसलन कांग्रेस की नाराजगी पर जब राजद नेता तेजस्वी यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं (राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी) ने आपस में बातचीत की, ऐसा कोई मुद्दा नहीं है. सब सर्वसम्मति से हुआ है.'
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गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की 5 राज्यसभा सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद में खींचातानी देखने को मिली. बीते दिनों कांग्रेस को गठबंधन में राज्यसभा की एक सीट नहीं मिलती देख बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पत्र लिखकर राजद को याद दिलाया था कि वह अपने वादे को पूरा करे. राजद को लिखे पत्र में गोहिल ने कहा था कि एक अच्छे आदमी का कर्तव्य होता है कि जान जाए, पर वचन न जाए. गोहिल का पत्र सार्वजनिक होते ही महागठबंधन में घमासान की बात खुलकर सामने आ गई.
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