जनता दल (यूनाइटेड) के उपाध्यक्ष और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के प्रमुख नीतीश कुमार के विरूद्ध बयान दिया है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मुद्दे पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह केवल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बता सकते हैं कि किस परिस्थिति में पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा में नागरिक (संशोधन) विधेयक का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि एनआरसी और सीएए पर जदयू का रुख विपक्ष का है.
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न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में किशोर ने कहा, 'जदयू ने हर स्तर पर विधेयक का विरोध किया. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनआरसी और सीएए पर जदयू का रुख विपक्ष का है. संसदीय स्थायी समिति के रिकॉर्ड की जांच करें. पहला असंतोष जदयू का है. लेकिन पता नहीं किन परिस्थितियों में जेडीयू ने दोनों सदनों में नागरिकता कानून का समर्थन किया है, अब ये तो नीतीश कुमार जी ही बता सकते हैं.'
Prashant Kishor,JD(U) VP:I want to make it very clear that JD(U)'s stance on NRC & CAA is of opposition. Check parliamentary standing committee's record, first dissent note is of JD(U). Under what circumstances JD(U) supported the bill in both houses only Nitish Kumar ji can tell pic.twitter.com/RmJw0WEhO8
— ANI (@ANI) December 30, 2019
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प्रशांत किशोर ने आगे कहा, 'हम मानते हैं कि सीएए एक अधिनियम के रूप में भेदभावपूर्ण है. अगर इसे एनआरसी से न जोड़ा जाए तो यह भयानक नहीं है. लेकिन जब आप CAA को NRC से जोड़ते हैं तो यह न केवल धर्म के आधार पर बल्कि वर्ग के आधार पर भेदभावपूर्ण हो जाता है.' किशोर ने कहा कि एनआरसी बिल्कुल नहीं होना चाहिए. किशोर ने कहा, 'जब एनआरसी होता है, करोड़ों लोग विशेष रूप से गरीब यदि वे आवश्यक दस्तावेजों का उत्पादन नहीं कर सके तो उन्हें यह साबित करने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ेगा कि वे और उनके पूर्वज इस देश के नागरिक हैं. वे आय और तार्किक चुनौतियों का सामना करेंगे.' उन्होंने कहा कि एनआरसी गरीबों के लिए एक बड़ी समस्या है. इसलिए NRC बिल्कुल नहीं होना चाहिए और यह जेडीयू का रुख रहा है. नीतीश कुमार ने भी कहा है कि NRC नहीं होगा.
जेडीयू नेता ने कहा, 'सीएए संविधान में उन प्रावधानों के अनुरूप नहीं है जो आपको धर्म के आधार पर नागरिकता देने की अनुमति नहीं देते हैं. सीएए में आप धर्म का उपयोग कर रहे हैं और नागरिकता दे रहे हैं, जिसके कारण कुछ धर्म के लोग महसूस कर सकते हैं कि उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. यह अपने आप में एक बड़ा मुद्दा है और इसका विरोध किया जाना चाहिए. जब आप इसे NRC से जोड़ते हैं तो यह और भी व्यापक हो जाता है.'
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गौरतलब है कि बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को जेडीयू का समर्थन दिए जाने के बाद से ही प्रशांत किशोर अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. हाल ही में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद भी उन्होंने अपने रुख पर कायम रहने की बात कही थी. नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी पार्टी से अलग राय रखने वाले किशोर ने कहा था कि सीएए को समर्थन दिए जाने के खिलाफ अपने रुख पर वह अब भी कायम हैं.
Source : News Nation Bureau