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चौथी बार प्रमोद भगत बने वर्ल्ड चैम्पियन, पैरा ऑलंपिक में जीता गोल्ड

पद्मश्री व अर्जुन अवार्ड से सुशोभित शटलर प्रमोद भगत पैरा बैडमिंटन के वर्ल्ड चैम्पियन से होकर जापान से घर पहुंचे.

Updated on: 16 Nov 2022, 01:17 PM

highlights

. चौथी बार प्रमोद भगत वर्ल्ड चैम्पियन बने

. देश का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया

Hajipur:

पद्मश्री व अर्जुन अवार्ड से सुशोभित शटलर प्रमोद भगत पैरा बैडमिंटन के वर्ल्ड चैम्पियन से होकर जापान से घर पहुंचे. लगातार चौथी बार प्रमोद भगत वर्ल्ड चैम्पियन बने, इससे पहले पैरा ऑलंपिक में भी गोल्ड जीत चुके हैं. खेल के सर्वोच्च अर्जुन अवॉर्ड, पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित शटलर प्रमोद भगत चौथी बार पैरा बैडमिंटन ओलंपिक के चैंपियन बन गए हैं. 1 नवंबर से 6 नवंबर तक जापान के टोक्यो में आयोजित पैरा बैडमिंटन के वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से गोल्ड मेडल जीता है. वहीं अपने एक साथी के साथ डबल्स रनरअप बनकर रजत पदक हासिल की है. जापान से वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद प्रमोद भगत हाजीपुर सदर थाना के शुभाई गांव स्थित अपने पैतृक घर पहुंचे. जहां उनके पिता रामा भगत, माता मालती देवी, भाई आमोद भगत ने उनका जोरदार स्वागत किया. 

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प्रमोद के साथ उनके तमाम कार्यों को संभालने वाले उनके छोटे भाई शेखर भगत भी मौजूद थे. मौके पर मां मालती देवी ने प्रमोद भगत और शेखर भगत आरती उतार कर उनका स्वागत किया, फिर उन्हें पुष्प माला पहना है और मुंह मीठा कराया. इस मौके पर प्रमोद भगत ने बताया कि वह चौथी बार पैरा बैडमिंटन के वर्ल्ड चैंपियन बने हैं. बता दें कि 4 साल की उम्र में पोलियो ग्रस्त होने के बाद प्रमोद भगत अपनी बुआ के साथ रहने भुवनेश्वर चले गए थे, जहां रहकर उन्हें ख्याति मिली. जिसने अपनी लगन और मेहनत के बल पर देश का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है. 

बचपन में पोलियो का शिकार हो जाने के बाद प्रमोद ने बैडमिंटन खेल को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया, जिसकी बदौलत आज प्रमोद ने ओलंपिक के बाद हाल ही में जापान के टोकियो में सम्पन्न हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर नया इतिहास रच दिया है. एक पैर से दिव्यांग होने के बाद भी प्रमोद को उसकी लगन और मेहनत के बल पर मिली सफलता आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है. हाजीपुर के सुभई गांव स्थित अपने घर पहुंचने पर उसकी मां ने अपने बेटे की आरती उतारी, माला पहनाया और मिठाई खिलाकर स्वागत किया. प्रमोद की मां सहित पूरे परिवार को आज उसकी सफलता पर गर्व हो रहा है. 

रिपोर्टर- दिवेश कुमार