मोबाइल की लाइट से हुआ 10 साल की मासूम बच्ची का पोस्टमार्टम, कार्यशैली पर उठे सवाल

बिहार में सरकार बदलते ही वेंटिलेटर पर पहुंची स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही थी.

बिहार में सरकार बदलते ही वेंटिलेटर पर पहुंची स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही थी.

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Vineeta Kumari
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मोबाइल की लाइट से हुआ 10 साल की मासूम बच्ची का पोस्टमार्टम( Photo Credit : प्रतीकात्मक तस्वीर)

बिहार में सरकार बदलते ही वेंटिलेटर पर पहुंची स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही थी. जिसको लेकर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद लोगों को अपने नए स्वास्थ्य मंत्री से काफी उम्मीदें थी, लेकिन अपने कार्यगुजारियों को लेकर छाप छोड़ने वाला आरा का आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल में एक बार फिर से घोर लापरवाही बरती गई है. जिसने सदर अस्पताल को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सदर अस्पताल में अस्पताल के नियम के विरुद्ध मजबूरन डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम किया गया है. डॉक्टर ने मोबाइल के टॉर्च की रौशनी में मृत किशोरी का पोस्टमार्टम किया है.

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यही नहीं पोस्टमार्टम भवन रहने के बावजूद भी भवन के बरामदे में नीचे रखकर पोस्टमार्टम किया गया है. इसपर मृत लड़की के परिजन भी नाराज है. हालांकि सदर अस्पताल ऐसी गलतियां कई बार कर चुका है, जिसपर कोई कार्रवाई नहीं होती है.

दरअसल, जिले के सहार थाना क्षेत्र के बरुही गांव के वार्ड नंबर 4 के निवासी राजू राय की दस वर्षीय पुत्री सीखा कुमारी सोन नदी में नहाने के दौरान डूब गई थी. जिसके बाद सीखा को नदी से निकालने के बाद उसे सहार पीएचसी ले गए थे. जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था. उसके बाद परिजन बॉडी का पोस्टमार्टम कराने के लिए आरा सदर अस्पताल ले आए थे, जहां पर परिजनों द्वारा सदर अस्पताल के कार्यशैली पर सवाल उठाए गए.

परिजन ने बताया कि लगभग तीन घंटों से सदर अस्पताल में पोटमार्टम कराने का इंतजार कर रहे थे. तीन घंटे बाद डॉक्टर पोस्टमार्टम करने के लिए आए, लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान सदर अस्पताल में बिजली नहीं थी. जिसके बाद डॉक्टर द्वारा इस कटी हुई बिजली में ही मोबाइल के लाइट और टॉर्च की मदद से पोस्टमार्टम कर दिया गया. जो सदर अस्पताल की तरफ से बड़ी लापरवाही है. इसको लेकर ऑन ड्यूटी डॉक्टर आशुतोष कुमार ने कहा कि लाइट नहीं थी. जिसको लेकर हमने कई बार प्रबंधन को सूचना भी दी, लेकिन किसी के तरफ से कोई सुनवाई नही की गई. उसके बाद इमरजेंसी के तहत पोस्टमार्टम किया गया है.

यह कोई पहली बार नहीं है, जहां सदर अस्पताल नियमों के खिलाफ जाकर काम कर रहा है. ऐसी लापरवाही सदर अस्पताल का पेशा बन गया है. ऐसे लापरवाहियों पर कार्रवाई नहीं होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसकी वजह से ऐसी खबरें अस्पताल से आती रहती है. पहले भी मोबाइल का टॉर्च जलाकर टांका, इंजेक्शन दिया गया है. अब तो सदर अस्पताल के डॉक्टर ने पोस्टमार्टम भी मोबाइल का टॉर्च के लाइट से कर दिया है.

वहीं इस मामले के संज्ञान में आते ही जिलाधिकारी राजकुमार ने जांच का आदेश सिविल सर्जन को दिए हैं. वह इस मामले में भोजपुर सिविल सर्जन डॉक्टर राम प्रीत सिंह ने कहा कि रात में नियंता पोस्टमार्टम नहीं होना चाहिए और रात में पोस्टमार्टम इमरजेंसी केस में किया जाता है. रात में जो पोस्टमार्टम हुई थी, वह डूबा हुआ केस था और डूबा हुआ केस इमरजेंसी हो जाता है. परिजन आक्रमक हो जाते हैं, जिसके कारण डीएम साहब के आदेश से ही रात में पोस्टमार्टम किया जाता है. नियंता डेलाइट में ही पोस्टमार्टम होना चाहिए, पर हमारे अस्पताल में चोर द्वारा लगातार बीच-बीच में बिजली की तार काट दी काट दी जाती है और बिजली का बिल भी लेकर भाग जाता है. 

Source : News Nation Bureau

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