बिहार में सब पढ़े सब बढ़े का नारा कटिहार में मूर्त रूप लेता नहीं दिख रहा है. यहां के बच्चे स्कूल के क्लास रूम में बैठने के लिए तरस रहे हैं. पेड़ के नीचे टीचर इनकी क्लास लेते हैं. धूप हो या बारिश या ठंड की ठिठुरन महेशपुर पंचायत के नया प्राथमिक विद्यालय शीतलबारी के बच्चे सब कुछ झेलने के लिए मजबूर हैं. यहां झोपड़ी में स्कूल चल रहा बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है.
तेज धूप में बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर बच्चे
नौनिहाल जेठ की धूप में बैठकर पढ़ाई करते हैं. बारिश के दिनों में इन बच्चों की पढ़ाई कैसे होती होगी ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. इन झोपड़ीपट्टियों के सहारे ये बच्चे पूरी बारिश काटते हैं. जब उत्तर भारत में हाड कपा देने वाली ठंड पढ़ती है तब ये बच्चे खुले आसमान में ठंडी हवाओं और शीतलहर के बीच ठिठुरते हुए क्या ही पढ़ाई करते होंगे. इसका भी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
160 बच्चों पर सिर्फ तीन टीचर
हालांकि प्रिंसिपल गोरखनाथ राय के मुताबिक साल 2016 से शिक्षा समिति ने स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई थी, लेकिन सरकार की उदासीनता की वजह से स्कूल की बिल्डिंग नहीं बन पा रही है. जबकि स्कूल की बिल्डिंग निर्माण के लिए कई बार विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है, लेकिन अभीतक आवंटन मुहैया नहीं कराई गई. बिल्डिंग के अभाव में झोपड़ी के रूम में सभी क्लास को मर्ज कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में 160 बच्चे पंजीकृत हैं, जिन पर सिर्फ तीन टीचर हैं. ऐसे में बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना कहां तक सही है. इस बात का दर्द स्कूल के प्रिंसिपल से लेकर यहां के टीचरों को भी सालता है.
बिहार में शिक्षा विभाग सब पढ़े सब बढ़े का नारा देता है, लेकिन यहां के स्कूलों में कुव्यवस्थाओं का अंबार है. स्कूल में न बैठने की व्यस्वथा है, न पढ़ने की, ना ही स्कूल की बिल्डिंग है और ना ही बच्चों के अनुपात में टीचर. ऐसे में शिक्षा विभाग का ये नारा बिहार के नौनिहालों के लिए बेइमानी ही है.
रिपोर्ट : जयप्रकाश भगत
HIGHLIGHTS
- तेज धूप में बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर बच्चे
- 160 बच्चों पर सिर्फ तीन टीचर
- ऐसे में कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई?
- बिहार के बदहाल शिक्षा का कौन जिम्मेदार?
Source : News State Bihar Jharkhand