पढ़ेगा बिहार तभी तो आगे बढ़ेगा बिहार, ये नारे आपको बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर लिखे दिखाई देंगे. नारों के साथ कई दावे और वादे भी दिखेगें, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत क्या है? इसकी पड़ताल न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड की टीम ने की. समस्तीपुर में सरकारी स्कूलों की तस्वीर को देख हमारे मन में एक ही सवाल आया कि अगर ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा बिहार? सरकारी दावों के आड़ में किस तरह देश के भविष्यों के साथ खिलवाड़ किया जाता है. इसका सीधा उदाहरण देखने को मिला समस्तीपुर में जहां स्कूल के नाम पर जर्जर भवन और शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ मजाक किया जा रहा है.
समस्तीपुर जिले के दलसिंह सराय प्रखंड का प्राथमिक स्कूल पहले लोहिया आश्रम में चलता था. बाद में इस स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई. 2020 में स्थानीय विधायक आलोक कुमार मेहता के कोष से लगभग 10 लाख 76 हजार की लागत से दो कमरे का भवन भी बनकर तैयार हुआ, लेकिन सिर्फ क्लासरूम का निर्माण किया गया. ना तो शौचालय की व्यवस्था हुई और ना ही बच्चों के बैठके के लिए बेंच और डेस्क की. लिहाजा बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हो गए हैं.
हैरानी की बात ये कि इस स्कूल तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता भी नहीं है. मिड-डे मील स्कूल भवन के पास बने झोपड़ी में बनाया जाता है. इस स्कूल में कुल 135 बच्चे और चार टीचर हैं. इतने बच्चों के लिए सिर्फ दो कमरे हैं. इसमें भी 1 कमरे का इस्तेमाल स्टोर के लिए किया जाता है. लिहाजा एक कमरे में ही बच्चों की पढ़ाई हो पाती है. बाकी बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.
वहीं, दलसिंह सराय शहर का सबसे पुराना स्कूल है. राजकीय प्राथमिक विद्यालय में दो पुराने खपरैल के कमरे हैं, जो पूरी तरह जर्जर हैं. इसी जर्जर भवन के दो कमरे और बरामदे में बच्चों की क्लासेस लगाई जाती है. स्कूल में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है. स्कूल में असुविधाओं को लेकर प्रिंसिपल ने कई बार विभाग के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लिखित शिकायत की है, लेकिन आश्वाशन के अलावा कोई पहल नहीं की गई है.
रिपोर्ट : मंटुन रॉय
HIGHLIGHTS
.ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा बिहार?
.सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत
.जर्जर भवन... पानी की व्यवस्था नहीं
.'जमीन' पर बिहार में शिक्षा का स्तर
Source : News State Bihar Jharkhand