नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देश में हिंसा का दौर जारी है तो इस मुद्दे पर राजनीति भी जमकर हो रही है. मंगलवार को बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में सीएए-एनपीआर-एनआरसी को लेकर जमकर हंगामा हुआ है. विपक्षी दलों के नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को 'काला कानून' बताया. जिस पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने नाराजगी जताई और फिर सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया. इस मुद्दे पर सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए. बढ़ते हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.
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बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बरगलाने का आरोप लगाया. तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और एनपीआर को देश तोड़ने वाला काला कानून बताया. उनके बयान पर बीजेपी के मंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई. जिससे सत्ता पक्ष के बाकी विधायकों ने समर्थन करते हुए हंगामा शुरू कर दिया.
सत्ता पक्ष के विधायकों ने कहा कि विपक्ष देश के संविधान को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है, इसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि विपक्ष सिर्फ हंगामा करना जानता है, उसका जनता के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार सदन के अंदर विपक्षी पार्टियों के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है.
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वहीं सदन से बाहर आने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से कहा कि उनके और अन्य सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद वे बोल रहे थे, तभी बीजेपी के विधायक हंगामा करने लगे. तेजस्वी ने कहा, 'सरकार ने एक ओर एनपीआर की अधिसूचना जारी कर दी है और दूसरी ओर मुख्यमंत्री कहते हैं कि एनपीआर 2010 के मुताबिक ही लागू होगा. उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि जो एनपीआर लागू होगा वह 2010 के नियम से ही लागू होगा.'
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