'सेकुलर' शब्द को लेकर राजनीति फिर गरमाई, जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने उठाई ये मांग

द्रौपदी मुर्मू की बड़ी बहुमत से राष्ट्रपति चुनाव में जीत हुई है, वो देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी है. मुर्मू की जीत कई मायनो मे ऐतिहासिक है.

द्रौपदी मुर्मू की बड़ी बहुमत से राष्ट्रपति चुनाव में जीत हुई है, वो देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी है. मुर्मू की जीत कई मायनो मे ऐतिहासिक है.

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Harsh Agrawal
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अजय आलोक( Photo Credit : फाइल फोटो )

द्रौपदी मुर्मू की बड़ी बहुमत से राष्ट्रपति चुनाव में जीत हुई है, वो देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी है. मुर्मू की जीत कई मायनो मे ऐतिहासिक है. उनकी जीत के बाद बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा की शुरुआत हुई है. दरअसल अब भारत के संविधान से‘सेकुलर’ शब्द हटाने की मांग बिहार में उठने लगी है. जदयू (JDU) के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने ये मांग उठाई है. उन्होंने देश के प्रधानमंत्री (PM Modi) से बड़ी मांग करते हुए कहा है कि मेरी और मेरे साथ पूरे भारत के लोगों की अपील है कि इस मॉनसून सत्र में विपक्ष की मौजूदगी में संविधान से "सेकुलर" शब्द नाम का कलंक हटा कर बाबा साहब को श्रधांजलि दी जाए. 

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उन्होंने आगे लिखा कि विपक्ष की ग़ैरमौजूदगी में जोड़ा था उनकी मौजूदगी में हटा दीजिए. पूरा देश देखना चाहेगा की इस शब्द को हटाने का विरोध कौन कर रहा हैं. खुल के सामने आना चाहिए ऐसे लोगों को. जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने ये बात ट्विटर के जरिए की. उन्होंने पीएमओ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी टैग किया. 

भारतीय राजनीति में सेक्युलर शब्द हमेशा विवादों में रहा है. भारत के संविधान में पहले सेक्युलर शब्द नहीं था, लेकिन इमरजेंसी के दौरान साल 1976 में प्रस्तावना में संशोधन कर 'सेक्युलर' शब्द को शामिल किया गया था. हम आपको बता दें कि साल 1998 में वाजपेयी सरकार ने संविधान की समीक्षा को लेकर एक कमेटी बनाई थी. तब इसका जमकर विरोध हुआ था. तब विपक्ष का कहना था कि सरकार द्वारा संविधान के मूल ढांचे को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही सरकार सेकुलरिज्म को खत्म करने की तैयारी कर रही है.

Source : News Nation Bureau

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