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विवादों में बिहार के शिक्षा मंत्री, घोटाले सहित पत्नी की मौत पर भी उठे सवाल

आपको बता दें कि मेवालाल चौधरी के खिलाफ पहले सबौर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. सबौर थाने की प्राथमिकी संख्या 35/2017 में मेवालाल चौधरी नौकरी घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं. इसके बाद ये मामला निगरानी को ट्रांसफर कर दिया गया.

Updated on: 17 Nov 2020, 11:43 PM

नई दिल्ली:

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने मंत्रिमंडल में मेवा लाल चौधरी को शामिल किए जाने पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. मेवालाल चौधरी के मंत्रिपद शपथ ग्रहण करते ही विवाद शुरू हो गया. मेवालाल पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते नौकरी में घोटाला करने का आरोप है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल के पद पर रहते  मेवालाल चौधरी के खिलाफ जांच करायी थी और उन पर लगे आरोपों को सही पाया था. ये जांच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी. 

आपको बता दें कि मेवालाल चौधरी के खिलाफ पहले सबौर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. सबौर थाने की प्राथमिकी संख्या 35/2017 में मेवालाल चौधरी नौकरी घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं. इसके बाद ये मामला निगरानी को ट्रांसफर कर दिया गया. निगरानी विभाग ने मेवालाल के खिलाफ केस संख्या-4/2017 दर्ज कर रखा है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 में हुई 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस्टों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया. यूनिवर्सिटी में योग्य अभ्यर्थियों के बजाय अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर ली गई. 

आपको बता दें कि तत्कालीन इस घोटाले को बिहार का व्यापमं घोटाला कहा जाने लगा था. इस घोटाले में अपात्र लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया में जमकर धांधली की गई थी. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सका कि विवि प्रबंधन ने बगैर राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा  पास किए डेढ़ दर्जन अभ्यथियों से अधिक को नौकरी दे दी. इस मामले में तब जद यू ने मेवालाल को पार्टी से निलंबित भी किया था. 

पूर्व आईपीएस ने मेवालाल की पत्नी की मौत पर उठाए सवाल
एक पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने बिहार के डीजीपी को पत्र लिखकर चौधरी की पत्नी की कथित रहस्यमय मौत की विस्तृत जांच की मांग की है. बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और दावा किया है कि उनकी पत्नी नीता की रहस्यमयी मौत चौधरी द्वारा कथित रूप से भर्ती घोटाले के लिंक के साथ एक राजनीतिक साजिश हो सकती है. आपको बता दें कि दास ने 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.

सुशांत राजपूत की तर्ज पर यहां भी बिहार सरकार को तेजी दिखानी चाहिए
दास ने एक पत्र में कहा, मुझे नीता चौधरी की रहस्यमय मौत के बारे में जानकारी है. उनकी मौत गहरी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है. उनकी मौत भर्ती घोटाले से जुड़ी है.  पूर्व विधायक नीता चौधरी 27 मई, 2019 को अपने घर पर जलने के बाद गंभीर हालत में मिली थीं. इसके बाद दो जून 2019 को उनकी मृत्यु हो गई. दास ने कहा, बिहार पुलिस ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत पर त्वरित कार्रवाई की, मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार पुलिस इस मामले में भी ऐसा ही करेगी. मैं बिहार पुलिस से उम्मीद कर रहा हूं कि उसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा.