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कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी संग्राम शुरू, सभी दलों ने जीत का किया दावा

कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 17 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे और इनकी जांच 18 नवंबर को होगी.नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 21 नवंबर है और मतदान 5 दिसंबर को होगा.

Updated on: 11 Nov 2022, 02:14 PM

highlights

. 17 नवंबर तक नामांकन होगा दाखिल
. वोट बैंक समीकरण के हिसाब जीत के दावे 
. अनिल सहनी की विधायकी जाने के बाद खाली हुई सीट

Patna:

मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव परिणाम के बाद अब कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव को लेकर संग्राम शुरू हो गया है. कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 17 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे और इनकी जांच 18 नवंबर को होगी. नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 21 नवंबर है और मतदान 5 दिसंबर को होगा. काउंटिंग 8 दिसंबर को होगी. वहीं, सभी राजनीतिक दल अलग-अलग दावे कर रहें हैं. वोट बैंक समीकरण के हिसाब से सभी दल जीत के दावे कर रहे हैं. 

मतदान से पहले सियासी संग्राम शुरू

मतदान शुरू होने से पहले सियासी संग्राम जारी है. जेडीयू नेता वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी ही चुनाव जीतेंगे. महागठबंधन के दल का जो भी प्रत्याशी होगा उसके लिए सभी महागठबंधन के दल चुनाव प्रचार करेंगे. आरजेडी ने भी जीत का दावा किया है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि महागठबंधन की सरकार जो कार्य कर रही हैं. इससे बिहार की जनता खुश है. काम के बदौलत ही हमें वोट मिलेगा.

नीतीश का वोट बैंक बीजेपी में हुआ शिफ्ट

वहीं, बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि मोकामा विधानसभा उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी अपनी गलती से चुनाव हार गई थी लेकिन कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ही चुनाव जीतेगी. उन्होंने दावा किया है कि नीतीश कुमार के साथ जो वोट बैंक था वह आरजेडी के साथ जाने को तैयार नहीं है. वह वोट बैंक अब बीजेपी में शिफ्ट हो गई है इसलिए यह चुनाव हम लोग ही जीतेंगे.
 
अनिल सहनी को सजा होने के बाद खाली हुई सीट

आपको बता दें कि, आरजेडी विधायक अनिल सहनी को एक मामले में सजा होने के बाद उनकी विधायकी चली गई है. इसके बाद कुढ़नी सीट खाली हुई. कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी विधायक अनिल सहनी पर राज्यसभा सांसद रहने के दौरान एलटीसी घोटाले का आरोप लगा था. इस आरोप पर सीबीआई जांच कर रही थी. अनिल सहनी जब राज्यसभा सांसद बने थे तो बिना यात्रा के लाखों रुपये का घोटाला हुआ था. सीबीआई ने जांच के बाद सारे आरोपों को सत्य पाया था. इसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी.