जेठुली में पुलिस पर पत्थरबाजी.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
बिहार में पुलिस सप्ताह चल रहा है. बिहार पुलिस ने गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद करने का प्लान बनाया है. पुलिस की टीम गांव-गांव जाएगी. आम जनता और पुलिस के बीच समन्वय बने, इसे लेकर बातचीत करेगी, लेकिन इन दिनों तो जो तस्वीरें बिहार के गांवों और शहरों से आ रही हैं, वो देखकर तो यही लगता है कि पुलिस संवाद के लिए जाएगी और पिट कर आएगी. हाल के दिनों में जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो तो यही बता रही हैं कि कैसे हथियारों से लैस पुलिस वालों को पब्लिक दौड़ा दौड़ाकर पीट रही है. पटना सिटी के जेठुली गांव में हिंसा के बाद बने हालात की तस्वीरों के बीच पुलिस की पिटाई का मामला हो या सीतामढ़ी में पुलिस वालों को दौड़ा दौड़ाकर लाठी डंडों से पीटने का मामला या फिर समस्तीपुर में डीएसपी समेत कई पुलिसवालों को बंधक बनाने का मामला. हर तस्वीर यही बता रही है कि बिहार में पुलिसिया सिस्टम पूरी तरह से फेल हो चुका है.
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इन तस्वीरों में जनता का आक्रामक रूप देखने को मिल रहा है. पुलिस पर पत्थरों की बौछार तो ऐसे करते हैं जैसे जान ही ले लेगें. कई तस्वीरों में पुलिस जान बचाकर दौड़ती भागती भी नजर आती है. सरकार तो बेहतरीन कानून व्यवस्था की दावा करती है, लेकिन शरारती तत्वों की भीड़ आग के काले धुंए में इन दावों को उड़ा देती है. पुलिस की जिम्मेदारी जनता की रक्षा करना है, लेकिन बिहार में तो पुलिस ही जगह-जगह पीटती नजर आ रही है. 'उत्कृष्टता की यात्रा' आदर्श वाक्य वाली बिहार पुलिस बेबस नजर आ रही है. सरकार दावा करती है कि जगंलराज जा चुका है, बिहार में अब कानून का राज है, लेकिन लग तो ऐसा रहा है कि वर्दी अब गुंडागर्दी के आगे सरेंडर कर चुकी है.
बिहार में फिर पिटी पुलिस आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2022 में 1,297 बार बिहार पुलिस पर हमले हुए. मासिक औसत निकाले तो हर महीने लगभग 259 हमले. हर रोज का औसत 8.64 बैठता है. यानी रोज करीब 9 बार बिहार पुलिस पर हमला होता है. जनवरी में 374, फरवरी में 211, मार्च में 227 हमले. अप्रैल में 190 और मई में 295 बार पुलिस पर हमले देखने को मिले हैं. पिछले 1 महीने में बिहार पुलिस पर 16 बार हमले हो चुके हैं. इससे पहले समस्तीपुर में 2 बार, जमुई में 3 बार, बांका में 2 बार, सहरसा में 2 बार, अररिया में 2 बार और पटना में 4 बार बिहार की पुलिस पिट चुकी है.
जेठुली में पुलिस पर पत्थरबाजी हाल ही में पटना सिटी के जेठुली में पुलिस पर पत्थरबाजी की घटना देखने को मिली. 19 फरवरी को दो गुटों में झड़प के बाद पुलिस पर हमला किया गया. यहां भी पुलिस पहले तो जान बचाकर भागती नजर आई. बाद में पूरी फोर्स आई तो थोड़ी हिम्मत दिखी. यहां एक-दो बार नहीं.. कई बार पुलिस पर पत्थरबाजी हुई. पुलिस को कई राउंड हवाई फायरिंग करनी पड़ी. कई पुलिस वालों को चोटें भी आई.
सीतामढ़ी में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा वहीं, सीतामढ़ी में ग्रामीणों ने पुलिस टीम को दौड़ा-दौड़कर पीटा है. पुलिस टीम जाम हटवाने गई थी. पुलिस की गाड़ी गांव में पहुंचते ही भीड़ ने लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर बरसाने शुरू कर दिए. एक महीने के अंदर बिहार पुलिस 16 बार पिट चुकी है. ताजा मामला पुपरी थाना क्षेत्र के भिट्टा गांव का है. गांव में एक युवक की संदिग्ध अवस्था में मौत के बाद शनिवार को ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया था. पुलिस पर हमले का वीडियो भी अब सामने आया है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि ड्राइवर कभी गाड़ी बैक कर रहा है तो कभी आगे ले जा रहा है. भीड़ भी गाड़ी के साथ-साथ दौड़ती और हमला करती दिख रही है. इस हमले में 3 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं. घायलों में कृष्ण प्रसाद सिंह, उमेश कुमार सिंह, पुलिस ड्राइवर राम प्रताप सहनी शामिल हैं. पुलिस ने 10 महिलाओं समेत 25 को गिरफ्तार किया है.
DSP को बकरी चोर समझकर पड़का समस्तीपुर के बंगराहा में गांव वालों ने DSP के साथ पुलिस वालों को बंधक बनाया और मारपीट की. पुलिस गांव में आरोपी को पकड़ने गई थी. लेकिन गांव को लोगों ने ही पुलिसवालों को पकड़कर बंधक बना लिया. चोर के घर छापेमारी के दौरान सभी पुलिस वाले सादी वर्दी में थे, तो गांव के लोगों ने उन्हें बकरी चोर समझ लिया. बाद में लोकर पुलिस ने आकर गांव के लोगों की समझाइश की और DSP और उनकी टीम को छुड़वाया.