PM मोदी के भाषण ने बदली जिंदगी, चाय बेचकर भाई को बनाया दारोगा
पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान स्वरोजगार और आत्मनिर्भर पर बल देते हुए पकौड़े बेचने को भी व्यवसाय बताया था और पीएम के बयान का समर्थन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी समर्थन किया था, लेकिन विपक्ष ने पीएम मोदी के बयान का विरोध किया था.
Gaya:
पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान स्वरोजगार और आत्मनिर्भर पर बल देते हुए पकौड़े बेचने को भी व्यवसाय बताया था और पीएम के बयान का समर्थन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी समर्थन किया था, लेकिन विपक्ष ने पीएम मोदी के बयान का विरोध किया था. सिर्फ विपक्ष ने ही नहीं युवाओं ने भी पीएम मोदी के इस बयान का विरोध किया था, लेकिन बिहार के गया के एक युवक ने इससे सीख लेकर अपनी जिंदगी बदल ली. गया जिले के शेरघाटी रोड के चेरकी दरियापुर के रहने वाले बलवीर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर वाली बात से प्रेरित होकर ‘मोदी जी चाय पकौड़े’ की दुकान खोलकर अपना जीवन बदल लिया.
गया जिले के चेरकी शेरघाटी मुख्य सड़क मार्ग पर बलवीर चंद्रवंशी ने पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर वाले भाषण से प्रेरित होकर दुकान खोली है. दुकान का नाम रखा आत्मनिर्भर भारत मोदी जी चाय-पकौड़ा की दुकान. दुकान खुली तो आसपास के लोगों ने बलवीर चंद्रवंशी का लोगों ने मडाक उड़ाना शुरू कर दिया, लेकिन बलवीर चंद्रवंशी के इरादे अटल रहे और नतीजा ये हुआ कि वो आज ना सिर्फ खुद आत्मनिर्भर हैं, बल्कि कई युवाओं को रोजगार भी दे रखा है. इतना ही नहीं 12वीं पास बलवीर चंद्रवंशी ने इसी चाय पकोड़े की दुकान के बल पर अपने छोटे भाई को पढ़ा लिखाकर उसे दारोगा बना दिया दिया.
वहीं, दारोगा में चयनित छोटे भाई जयंत कुमार ने खुद के दारोगा बनने पर अपने बड़े भाई बलवीर चंद्रवंशी को पूरा श्रेय देते हैं. पीएम मोदी के नाम से दुकान खोलने और शुद्ध सरसो तेल में बने पकौड़े और कुल्हड़ वाली चाय ने कम हीं दिनों में पूरे जिले में प्रसिद्ध हो गई. अपने दुकान का नाम के साथ साथ पीएम की फोटो भी लगाई है. इस रास्ते से गुजरने वाले हरेक चाय और पकौड़े के शौकीन रुक कर जरूर खाते हैं और खाते हीं इस चाय पकौड़े के कायल हो जाते हैं.
कहा जाता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. कोई जब भी किसी बड़ी शख्सियत का जिक्र होता है तो हम आप उसके पीछे की जानकारी नहीं लेना चाहते. जब भी किसी बड़ी शख्सियत का जिक्र हो और अगर उसकी पीछे की कहानी खंगाली जाए.. तो वो भी.. कोई रेहड़ी वाला.. कोई चाय वाला.. कोई पकौड़े वाला ही मिलेगा. क्योंकि कहा जाता है सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जो मेहनत करते हैं. जैसे 12वीं तक पढ़ाई करने वाले बलवीर चंद्रवंशी ने मेहनत की.. बलवीर चंद्रवंशी आज ना सिर्फ आत्मनिर्भर हैं बल्कि कई युवाओं को रोजगार भी दे रखें हैं.
रिपोर्ट : अजीत कुमार
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