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सौरभ का ये वीडिया सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
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सौरभ का ये वीडिया सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
एक फिल्म का मशहूर डायलॉग है कि भगवान के भरोसा मत बैठिए क्या पता भगवान भी आपके भरोसे बैठा हो. ये डायलॉग भागलपुर के 17 साल के सौरभ पर खूब जंच रही है. क्योंकि अपने गांव के स्कूल की बदहाली को उजागर करने के लिए सौरभ ने भी किसी का इंतजार नहीं किया बल्कि खुद हाथ में एक लकड़ी की माइक ली और सोशल मीडिया के जरिए शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. अब सौरभ का ये वीडिया सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.
हाथ में लकड़ी की माइक लिए ये युवक पेशे से भले ही पत्रकार न हो, लेकिन अपने गांव के स्कूल की बदहाली को उजागर करने के लिए ये पत्रकार बना हैं. अपने गांव के स्कूल की बदहाली को दिखाते हुए वो सिस्टम से सवाल कर रहा है कि अगर ऐसे पढ़ेगा बिहार को कैसे आगे बढ़ेगा बिहार. ये युवक 17 साल का सौरभ है, जिसने अपने स्कूल की दुर्दशा को अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए किसी का इंतजार नहीं किया. बल्कि खुद ही एक लकड़ी की माइक के साथ ये जिम्मेदारी उठा ली.
स्कूल की बदहाली जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. स्कूल में करीब 700 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन स्कूल की हालत जर्जर है. न पीने का साफ पानी आता है और न बच्चों के पढ़ने के लिए ढंग का क्लासरूम. स्कूल परिसर की साफ-सफाई भी भगवान के भरोसे है.
सौरभ ने जब स्कूल के दुर्दशा की पोल खोली तो कुछ अधिकारी गांव आए. उन्होंने स्कूल का जायजा भी लिया, लेकिन हालात जस के तस हैं. अधिकारियों ने कागजों पर तो कार्रवाई की, लेकिन जमीनी स्तर पर स्कूल की हालत में सुधार नहीं हुआ. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर स्कूल को हर साल मिलने वाले फंड का क्या होता है? अगर फंड का पैसा स्कूल की मूलभूत सुविधाओं पर खर्च नहीं होता तो पैसे कहां जाते हैं? बहरहाल इन सवालों के जवाब अधिकारी कब देते हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
Source : News Nation Bureau