आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ SC में याचिका, 8 मई को होगी सुनवाई

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पत्नी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की समय से पहले जेल से रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जी. कृष्णया को 1994 में बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के नेतृत्व में एक भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.

author-image
Shailendra Shukla
New Update
anand mohan

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पत्नी ने दाखिल की है याचिका( Photo Credit : सोशल मीडिया)

बिहार के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद आनंद मोहन पर फिर से मुसीबत आ सकती है.  दरअसल, उनकी रिहाई के खिलाफ तत्कालीन डीएम जी. कृष्णया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसपर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है और याचिका पर 8 मई को सुनवाई करेगा. आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पत्नी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की समय से पहले जेल से रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जी. कृष्णया को 1994 में बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के नेतृत्व में एक भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.

Advertisment

publive-image

जी कृष्णया की पत्नी उमा कृष्णया (बाएं)

क्या कहा गया है याचिका में?

जी कृष्णया की पत्नी उमा कृष्णया द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि मौत की सजा के विकल्प के रूप में अदालत द्वारा निर्देशित आजीवन कारावास को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. याचिका में तर्क दिया गया- एक दोषी को मौत की सजा के विकल्प के रूप में दिए गए आजीवन कारावास की सजा को अलग तरह से देखा जाना चाहिए और सामान्य आजीवन कारावास से अलग किया जाना चाहिए. आजीवन कारावास, जब मृत्युदंड के विकल्प के रूप में दिया जाता है, अदालत द्वारा निर्देशित सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और छूट के आवेदन से परे होना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा का मतलब उनके पूरे जीवन के लिए कारावास है. आजीवन कारावास का अर्थ है पूरी जिंदगी और 14 साल की व्याख्या नहीं की जा सकती है. इसका मतलब है कि जीवन के लिए कारावास अंतिम सांस तक रहता है.

ये भी पढ़ें-कार नंबर BR25PA2935 ने कैब चालक को बोनट पर कई किलोमीटर घसीटा, दिल्ली पुलिस ने बचाया

बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आनंद मोहन को गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. याचिका में कहा गया है कि मोहन राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति है और उसने विधायक रहते हुए सेवारत आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की हत्या की है. उन्हें राजनीतिक समर्थन प्राप्त है और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले लंबित हैं. दलील में तर्क दिया गया कि बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) (सी) में प्रावधान है कि जिन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया है, वह 20 साल की सजा पूरी होने के बाद ही छूट के पात्र होंगे.

publive-image

ये भी कथन किया गया है याचिका में

वर्तमान मामले में, आनंद मोहन को निचली अदालत ने 5 अक्टूबर, 2007 को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में पटना उच्च न्यायालय ने आजीवन कठोर कारावास में बदल दिया था और शीर्ष अदालत ने इसकी पुष्टि की थी. आनंद मोहन केवल 14 साल कैद में रहे और इसलिए, वह बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) (सी) के अनुसार छूट के लिए योग्य नहीं है. याचिका में कहा गया है, वर्तमान दोषी को छूट का अनुदान 10 दिसंबर, 2002 की अधिसूचना के उल्लंघन में है, जो सजा की तारीख, यानी 5 अक्टूबर, 2007 को लागू थी. इसलिए, बिहार राज्य द्वारा 24 अप्रैल, 2023 का आदेश 10 दिसंबर, 2002 की अधिसूचना के साथ-साथ शीर्ष अदालत के निर्णयों के उल्लंघन में है.

ये भी पढ़ें-लुधियाना गैस लीक: गया के 5 लोगों की मौत, CM नीतीश ने किया मुआवजे का ऐलान

याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार सरकार ने विशेष रूप से बिहार जेल नियमावली, 2012 में पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ 10 अप्रैल, 2023 को संशोधन किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए. उक्त संशोधन दिनांक 10.12.2002 की अधिसूचना के साथ-साथ सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है और इसके परिणामस्वरूप राज्य में सिविल सेवकों का मनोबल गिरा है. इसलिए, यह दुर्भावना के दोष से ग्रस्त है और प्रकट रूप से मनमाना है और कल्याणकारी राज्य के विचार के विपरीत है.

publive-image

बताते चलें कि 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया, जो तेलंगाना के रहने वाले थे, उनको भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था, जब उनके वाहन ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस को ओवरटेक करने की कोशिश की थी. भीड़ को कथित तौर पर आनंद मोहन ने उकसाया था.

HIGHLIGHTS

  • आनंद मोहन की फिर बढ़ सकती हैं मुसीबतें
  • रिहाई के  खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
  • आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पत्नी ने दाखिल की याचिका
  • 8 मई को याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Source : News State Bihar Jharkhand

Nitish government Anand Mohan Anand Mohan Release from Jail Supreme Court
      
Advertisment