पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की लगाई फटकार, शराब बंदी कानून की फिर खुली पोल
पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है की इस कानून को लागू करने में सरकार पूरी तरीके से फेल हो गई है. राज्य में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है.
Patna:
बिहार में शराब बंदी कानून लागू होने के बाद भी लोग खुलेआम शराब पीते नजर आते हैं. शराब तस्करों को प्रशासन का जरा भी डर नहीं होता और अब खुद पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है की इस कानून को लागू करने में सरकार पूरी तरीके से फेल हो गई है. राज्य में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. पटना हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार पर बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए मामले को चीफ जस्टिस की बेंच में रेफर कर दिया है.
समाज पर पड़ रहा बुरा असर
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की सिंगल बेंच ने शराबबंदी के कारण लंबित हजारों मामलों में जमानत की अर्जियों पर सरकार के कई महकमों से रिपोर्ट मांगी थी. सरकार के गृह , पुलिस, परिवहन, कमर्शियल टैक्स और मद्यनिषेध विभाग से मिली रिपोर्टों के आधार पर हाईकोर्ट ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी है. जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की सिंगल बेंच ने कहा कि शराबबन्दी कानून को सही तरीके से लागू नहीं किए जाने के कारण बिहार में नए तरीके के क्राइम बढते जा रहे हैं. इससे समाज पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. सिंगल बेंच ने कहा है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर संज्ञान में लेकर सुनवाई करना चाहिए.
शराब तस्करों को राजनीतिक तबको का मिल रहा साथ
जस्टिस ने अपने 20 पन्ने के फैसले की शुरुआत में कहा है कि राज्य सरकार शराबबन्दी कानून को उसके सही जज्बे और मकसद से लागू करने में फेल हो गयी है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस कानून को लागू नहीं होने देने वाले शराब तस्करों को पुलिस और राजनीतिक तबको का साथ मिल रहा है. कोर्ट ने कहा है कि सूबे में शराब तस्करों का एक संगठित गिरोह खड़ा हो गया है जो पड़ोसी राज्यों के साथ साथ नेपाल जैसे पड़ोसी देश से भी नियंत्रित होता है. सरकार की रिपोर्ट से ही इसका खुलासा हुआ है. इस संगठित गिरोह के खड़ा होने का मुख्य कारण पुलिस और राजनीतिक तबको का तस्करों के साथ गठजोड़ होना है.
युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद
हाईकोर्ट ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून के कारण सबसे ज्यादा 18 से 35 साल के लोग जेल गये हैं. बेहद चिंताजनक बात ये है कि किशोर यानि 18 साल से कम उम्र के लड़के इस जाल में फंसे हैं. शराब तस्करों के मकड़जाल में जिन लोगों को सबसे ज्यादा शामिल किया जा रहा है. वे किशोर यानी जुवेनाइल तबके के लड़के हैं. जुवेनाइल लड़कों को सबसे ज्यादा शराब डिलिवरी में लगाया जा रहा है. शराब के केस में फंसे किशोरों की अनगिनत जमानत की अर्जियों से ये बात स्पष्ट रूप से सामने आयी है. शराब तस्कर किशोरों को अपने धंधे में शामिल कर रहे हैं ताकि उन्हें जुवेनाइल होने का फ़ायदा मिले और अगर पकड़े भी जायें तो जल्दी बरी हो जाएं.
नए तरीके के क्राइम का बढ़ा ग्राफ
हाईकोर्ट ने कहा है कि शराबबंदी के बाद बिहार में नये किस्म के क्राइम का ग्राफ बढ़ा है. बिहार में गाड़ियों की चोरी, नंबर प्लेट , इंजिन, चेचीस बदलने और फर्जी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने का ग्राफ बहुत बढ़ा है. बिहार सरकार के परिवहन विभाग के आंकड़े ही साफ बताते हैं कि परिवहन अधिकारियों के पास गाड़ियों से शराब तस्करी रोकने का कोई उपाय नहीं है.
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