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विकास और डबल इंजन वाली बिहार सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, दिखाया आईना

विकास का दंभ भरने वाले बिहार के नीतीश कुमार की सरकार को माननीय उच्च न्यायालय ने आईना दिखा दिया है.

Updated on: 19 Feb 2020, 02:56 PM

पटना:

विकास का दंभ भरने वाले बिहार (Bihar) के नीतीश कुमार की सरकार को माननीय उच्च न्यायालय ने आईना दिखा दिया है. कोर्ट ने पूछा कि क्या अब लोग इन सड़कों पर बैलगाड़ी से चलेंगे, जिस सड़क से दो महीने पहले मुख्य न्यायाधीश को कार छोड़ ट्रेन का सहारा लेना पड़ा था, उसकी तस्वीर नहीं बदली. 18 दिसंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल पटना से गया कार से किसी कार्यक्रम में गए, मगर सड़क ऐसी की ट्रेन से लौटना पड़ा. उस वक्त के बाद से इस सड़क को लेकर कई बार सुनवाई हुई और नतीजा की न्यायालय का भी सब्र का बांध टूट गया.

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पटना-गया नेशनल हाईवे की दुर्दशा और उसके धीमी निर्माण गति पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि क्या अब लोग इन सड़कों पर बैलगाड़ी से चलेंगे? हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने प्रतिनजय संस्था की तरफ से दायर दो जनहित मामलों पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिया कि वह बिहार में राष्ट्रीय उच्च पथों की संख्या और उसकी अद्यतन स्थिति का विस्तृत ब्योरा अगली सुनवाई में पेश करें.

कोर्ट ने पटना-गया एनएच की मरम्मत की धीमी गति पर भी नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि अच्छी सड़कों का सीधा संबंध पर्यटन स्थलों के विकास और बिहार के लोगों के रोजगार उपलब्ध होने से है. इसके पहले कोर्ट को बताया गया कि सोनपुर-छपरा सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण 2008 में ही कर लिया गया था, लेकिन अब तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.

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दरअसल 2015 में इस सड़क का टेंडर हुआ था. लेकिन अभी तक सड़क के निर्माण का टेंडर फाइनल नहीं हुआ है. एजेंसी के चयन की प्रक्रिया जारी है. 127 किलोमीटर लंबाई की इस सड़क के लिए 2015 में टेंडर हुआ था. तब लागत 1232 करोड़ रुपये थी. आईएलएंडएफएस को काम मिला. कंपनी दिवालिया हो गई. अक्टूबर 2018 से काम पूरी तरह बंद है. सड़क को 3 भाग में बांटकर नए सिरे से टेंडर हुआ. अब लागत 1795 करोड़ रुपये है.

अब इस पर सियासत भी तेज हो गई है. विपक्षी पार्टी राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष तनवीर हसन ने कहा कि ये कैसी बेशर्म सरकार और इनका ये कैसा विकास? जबकि सत्तारुढ दल जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक न्यायालय की भावना को भांप गलती मान रहे हैं, मगर इन्होंने गेंद केंद्र सरकार और NHAI के पाले में डाल दी है. अब इंतजार अगली सुनवाई का होगा. देखना होगा कि कोर्ट में सरकार जवाब क्या देती है, क्योंकि फिलहाल न्यायालय ने डबल इंजन की सरकार को आईना दिखाया है.