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Patna हाईकोर्ट ने मधुबनी एसपी का तबादला न करने पर बिहार सरकार को लताड़ा

उच्च न्यायालय ने घटना का संज्ञान लिया और बिहार के गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव, डीजीपी और प्रमुख सचिव को मधुबनी के एसपी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के लिए नोटिस दिया.

Updated on: 02 Dec 2021, 10:32 AM

highlights

  • वरिष्ठ वकील मृकांग मौली को न्यायमित्र नियुक्त किया
  • पुलिस विभाग ने सत्य प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई नहीं की

पटना:

पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अविनाश कुमार पर कथित हमले के मामले में मधुबनी के एसपी सत्य प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई न करने पर नीतीश कुमार सरकार पर नाराजगी व्यक्त की. न्यायमूर्ति रंजन गुप्ता ने महाधिवक्ता से यह स्पष्ट करने को कहा कि राज्य सरकार ने मधुबनी के एसपी का तबादला क्यों नहीं किया. एसपी अपने पद और शक्ति का उपयोग कर सबूतों को नष्ट कर सकता है. अदालत ने महाधिवक्ता को सीआईडी के माध्यम से जांच करने और अगली सुनवाई में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया.

अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से मामले को देखने के लिए वरिष्ठ वकील मृकांग मौली को न्यायमित्र नियुक्त किया है. इससे पहले उच्च न्यायालय ने घटना का संज्ञान लिया और बिहार के गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव, डीजीपी और प्रमुख सचिव को मधुबनी के एसपी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के लिए नोटिस दिया. झंझारपुर में मधुबनी जिला अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) अविनाश कुमार के साथ 18 नवंबर को घोघरडीहा थाने के एसएचओ गोपाल कृष्ण और सब-इंस्पेक्टर अभिमन्यु शर्मा ने मारपीट की थी. उन्होंने झंझारपुर में अपने कोर्ट रूम के अंदर उस पर सर्विस पिस्टल तानकर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी. कोर्ट में मौजूद वकीलों ने एडीजे को छुड़ाया.

घटना के बाद अविनाश कुमार ने 15 साल की एक बच्ची के अपहरण और उसके साथ दुष्कर्म से जुड़े एक मामले की ओर इशारा किया, जिसकी वह सुनवाई कर रहा थे. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने जिले के एक थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी और एसपी सत्य प्रकाश ने इसकी निगरानी की थी. जब मामला एडीजे अविनाश कुमार की अदालत में आया तो एफआईआर में अपहरण, पोक्सो एक्ट और बाल विवाह से जुड़ी आईपीसी की धाराओं को शामिल नहीं किया गया था. इस साल जुलाई में मामले की सुनवाई के दौरान अविनाश कुमार ने एसपी सत्य प्रकाश को कानून और आईपीसी की धाराओं की जानकारी पर सवाल उठाते हुए नोटिस जारी किया था. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय, राज्य के गृह मंत्रालय और बिहार के डीजीपी से सत्य प्रकाश को फिर से प्रशिक्षण के लिए पुलिस अकादमी भेजने की सिफारिश की.

एडीजे अविनाश कुमार की सिफारिश के बावजूद राज्य सरकार और पुलिस विभाग ने सत्य प्रकाश के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. वह मधुबनी जिले के एसपी के रूप में अभी भी कार्यरत हैं. पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में एडीजे ने मारपीट की घटना की पृष्ठभूमि बताई है. उन्होंने पहले अपनी शिकायत में कहा था, 'एसएचओ गोपाल कृष्ण और उनके कनिष्ठ अधिकारियों ने मुझे पीटा. दोनों ने कहा, मैं एसपी साहब को नोटिस देने और उन्हें अदालत में पेश होने के लिए बुलाने की हिम्मत कैसे कर सकता हूं. मैं तुम्हें मार दूंगा.' एडीजे अविनाश कुमार ने कहा, 'एसएचओ और कनिष्ठ अधिकारियों ने मेरी तरफ हथियार दिखाते हुए यह भी कहा कि मैं एसपी साहब को कोर्ट में पेश होने के लिए नहीं बुला सकता.'