Bihar: बिहार सरकार की ओर से मत्स्य पालन को एक संगठित, लाभकारी और आत्मनिर्भर व्यवसाय के रूप में विकसित करने के लिए चलाई जा रही 'तालाब मत्स्यिकी विशेष सहायता योजना' प्रदेश के मछुआरों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभर रही है. इस योजना का संचालन पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अंतर्गत निदेशालय मत्स्य द्वारा पूरे राज्य में किया जा रहा है.
ये है योजना का मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़े वर्ग के मत्स्य कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. इसके तहत लाभार्थियों को रियरिंग तालाब का निर्माण, बोरिंग, पंपसेट या समरसिबल पंप की स्थापना, शेड निर्माण, यांत्रिक एरेटर और मत्स्य इनपुट जैसी आवश्यक सुविधाएं 'पैकेज सहायता' के रूप में उपलब्ध कराई जा रही हैं.
किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही योजना
राज्य सरकार इस योजना में प्रति एकड़ जलक्षेत्र की इकाई लागत ₹10.10 लाख तय की है, जिसमें से 70 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है. शेष 30 प्रतिशत राशि लाभार्थी को स्वयं या बैंक ऋण के माध्यम से वहन करनी होती है. यह मॉडल खासतौर से छोटे और सीमांत मत्स्य किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है, क्योंकि इससे वे भी अब आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन कर लाभ कमा पा रहे हैं.
ऐसे करें आवेदन
इस योजना से न सिर्फ राज्य में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हो रही है, बल्कि हजारों परिवारों को रोजगार और स्थायी आय का साधन भी मिल रहा है. इच्छुक लाभार्थी योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए अपने जिले के मत्स्य कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या https://state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html पर जाकर आवेदन की प्रक्रिया जान सकते हैं.
सकरात्मक बदलाव की है नींव
बिहार सरकार की यह पहल न केवल मछुआरों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही है, बल्कि राज्य को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक सशक्त कदम है. यह योजना मछुआरों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रख रही है.
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