इलाज के लिए तड़पता रहा मरीज, डॉक्टर साहब रौब झाड़ने में रहे BUSY

बीमारी हो या कोई हादसा हो, सबसे पहले डॉक्टर की ही याद आती है. क्योंकि मन में एक भरोसा होता है कि डॉक्टर सब ठीक कर देंगे, लेकिन जब बात बिहार के अस्पतालों और डॉक्टरों की हो रही हो तो तस्वीरें थोड़ी जुदा होती.

बीमारी हो या कोई हादसा हो, सबसे पहले डॉक्टर की ही याद आती है. क्योंकि मन में एक भरोसा होता है कि डॉक्टर सब ठीक कर देंगे, लेकिन जब बात बिहार के अस्पतालों और डॉक्टरों की हो रही हो तो तस्वीरें थोड़ी जुदा होती.

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Jatin Madan
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अस्पताल बना अखाड़ा.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

बीमारी हो या कोई हादसा हो, सबसे पहले डॉक्टर की ही याद आती है. क्योंकि मन में एक भरोसा होता है कि डॉक्टर सब ठीक कर देंगे, लेकिन जब बात बिहार के अस्पतालों और डॉक्टरों की हो रही हो तो तस्वीरें थोड़ी जुदा होती. यहां के अस्पतालों में इलाज से ज्यादा हंगामा होता है. ऐसी ही एक तस्वीर सुपौल के अनुमंडलीय अस्पताल में देखने को मिली. यहां घायल इलाज के लिए तड़प रहा था और डॉक्टर साबह तू-तू-मैं-मैं में लगे थे. यहां के डॉक्टरों को इलाज से ज्यादा रौब झाड़ना पसंद है.

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इलाज के लिए तड़पता रहा मरीज

सरकार ने मिशन 60 इस उम्मीद से चलाया कि अस्पतालों का कायाकल्प होगा. अस्पतालों का कायाकल्प सिर्फ बाहरी हुआ बिल्गिंड तो चमक गई, लेकिन प्रबंधन की हालत वही खस्ताहाल है और उसी का उदाहरण है सुपौल के अनुमंडलीय अस्पताल  का हंगामा. डॉक्टर साबह रौब झाड़ रहे हैं कि वो पारस अस्पताल के सीनियर हेड डॉक्टर हैं. उन्हें सब कुछ पता है. सब कुछ पता है फिर भी डॉक्टर साबह ने घायल बच्चे को देखते ही दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया. सब कुछ पता है फिर भी डॉक्टर साहब ने ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे मासूम को छोड़कर तू-तू-मैं-मैं पर उतर आए हैं.

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डॉक्टर साहब रौब झाड़ने में लगे रहें

आपको बता दें कि सुपौल में सड़क हादसे में कुछ लोग घायल हो गए. डॉ. विनीत शेखर जो कि कोसी रक्तवीर समूह के निदेशक हैं, उन्होंने घायलों को देखा तो मानवता के नाते अनुमंडलीय अस्पताल ले आए. ताकि घायलों को प्राथमिक इलाज मिल जाए. पहले तो कुछ देर तक कोई घायलों की सुध लेने भी नहीं आया. कुछ देर बाद ड्यूटी पर मौजूद डॉ. अमित कुमार अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे और मरीज को देखते ही एम्बुलेंस से दरभंगा रेफर करने की बात कह दी. इस दौरान मरीज को अस्पताल पहुंचाने वाले डॉ. शेखर ने डॉक्टर से कहा कि बच्चे ही हालत गंभीर है कम से कम उसे ऑक्सीजन लगाकर फर्स्ट-एड दे दें. बस फिर क्या था डॉक्टर साहब बिफर गए और अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया.

मरीज को देखते ही कर दिया रेफर

ये हालत तब है जब अस्पताल में तमाम सुविधाएं हैं. डॉक्टर है, दवाईयां है, मशीनें हैं, लेकिन इस सब पर भी डॉक्टर्स की लापरवाही भारी है. जिसके चलते लोगों को ना तो ठीक इलाज नहीं पाता है और ना ही कोई और सुविधा. डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन इस तरह की तस्वीरें डॉक्टरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है.

रिपोर्ट : बिष्णु गुप्ता

HIGHLIGHTS

  • अस्पताल बना अखाड़ा
  • इलाज के लिए तड़पता रहा मरीज
  • डॉक्टर साहब रौब झाड़ने में लगे रहें
  • मरीज को देखते ही कर दिया रेफर
  • अस्पताल में हुई जमकर तू-तू-मैं-मैं

Source : News State Bihar Jharkhand

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