संसद के मानसून सत्र का 13 वां दिन भी गुजर चुका है. इस दौरान हालात अब तक वैसे ही बने हैं. पहले दिन से सत्र में हंगामे, नारेबाज़ी और स्थगन. बिहार SIR को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. विपक्ष कह रहा है कि जब तक इस पर चर्चा नहीं होगी. तब तक संसद नहीं चलने देंगे. वहीं सरकार का कहना है कि यह मामला नियमों के तहत चर्चा योग्य नहीं है.
संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया
संसद के मानसून सत्र का 13वां दिन हो चुका है. मगर हालात अभी भी वही पुराने हैं. बिहार SIR (Special Investigation Report) पर बहस की मांग कर रहे विपक्षी सांसदों ने बुधवार भी संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया. लोकसभा और राज्यसभा–दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ ही मिनटों में स्थगित करनी पड़ी. अब तक पूरे सत्र में सिर्फ दो दिन ही ऐसे रहे हैं, जब सदन में बहस और विधायी कामकाज हुआ हो.
विपक्ष का कहना है की ये सिर्फ बिहार का मामला नहीं है. ये पूरे सिस्टम का केस है. जब तक बिहार SIR पर चर्चा नहीं होगी. तब तक संसद चलने नहीं देंगे. लोकतंत्र में सवाल पूछना अधिकार है. सरकार जवाब देने से क्यों डर रही है?”
विपक्ष का तर्क पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना
सरकार का तर्क है कि बिहार SIR किसी राज्य विशेष से जुड़ा केस है. संसद में इस पर नियमों के तहत चर्चा नहीं हो सकती. सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष केवल सत्र को बर्बाद करने का प्रयास कर रहा है. जनता के मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होने दे रहा. विपक्ष का तर्क पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है. हर बार कोई नया मुद्दा उठाकर सदन ठप करना लोकतंत्र नहीं है. अगर ये वाकई गंभीर हैं, तो राज्य में विधानसभा में चर्चा करें. संसद को क्यों बंधक बना रहे हैं? सरकार अब मजबूरी में हंगामे के बीच भी बिल पास कराने का प्रयास कर रही है और दोनों सदनों से एक एक बिल पास भी हुआ है.