भागलपुर में गर्मी की शुरूआत हुई भी नहीं और पानी को लेकर हाहाकार मच गया है. लोग बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. आलम ये है कि सड़क किनारे हो रहे पाइप के लीकेज से पानी भरने की नौबत आ गई है. फुलवरिया गांव में पानी का कोई स्रोत नहीं है. सात निश्चय योजना के तहत शुद्धपानी का वादा जरूर किया गया, लेकिन वादे सिर्फ वादे ही बनकर रह गए. भागलपुर से दुमका जाने वाले मुख्य सड़क पर टूटे पुल के पास पानी का पाइप लीक हो रहा है. अक्सर हम पाइप या पानी के लीकेज को परेशानी की तौर पर देखते हैं, लेकिन फुलवरिया गांव के लोगों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि इसी लीकेज से निकलने वाले बूंद-बूंद पानी के सहारे ग्रामीणों का जीवन चलता है.
बूंद-बूंद के मोहताज
सड़क किनारे पानी भरते वक्त हादसे का डर पल-पल सताता है, लेकिन कोई और चारा भी तो नहीं है. अगर पानी नहीं भरेंगे तो प्यास के मरेंगे. डर सिर्फ हादसे का ही नहीं है. डर ये भी है कि अगर प्रशासन को लीकेज की खबर लग गई तो इसे ठीक ना कर दिया जाए. क्योंकि ऐसे में तो जो कुछ पानी मिल भी रहा है वो भी बंद हो जाएगा. कैसी विडंबना है कि जो लीकेज की परेशानी लोगों के लिए जान का जापाल बन जाती है लोग उसी समस्या के ठीक ना होने की कामना कर रहे हैं ताकि बूंद-बूंद ही सही, पानी मिलता रहे. एक तरफ सरकार है कि सात निश्चय योजना और नल जल योजना पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
जनता में आक्रोश
वहीं, दोगच्छी की रहने वाली महिला सरकार के रवैये से आक्रोशित है. महिला का कहना है कि पानी पीने की कोई व्यवस्था सरकार ने नहीं की है. जैसे तैसे दिन काट रहे हैं. जनप्रतिनिधियों ने गांव में सबके घर में पानी की पाइप का कनेक्शन लगवा तो दिया, लेकिन टोटी में अभी तक पानी नहीं आता है. ऐसी ही हालत मंसूरी टोला की भी है. जहां के लोगों की मानें तो उनके गांव में पीने लायक पानी दशकों से नहीं आता. मंसूरी टोला के चाय दुकानदार बबलू राय की मानें तो वो इसी सड़क किनारे से जो पानी भरकर ले जाते हैं. उसी के सहारे चाय बनाते हैं और अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं. ऐसे में अगर ये लीकेज ठीक हो गया तो दो वक्त की रोटी पर भी आफत आ जाएगी.
मूलभूत सुविधाएं भी नहीं
एक तरफ पूरे बिहार में बिहार दिवस की धूम है. तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रमों के जरिए लोगों बिहार की विकास गाथा बताई जा गई और इसी बिहार के भागलपुर में लोग दो बूंद पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. पानी जो मूलभूत सुविधाओं में गिनी जाती है. ऐसे में अगर बिहार के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं तो विकास की बातें तो बेइमानी ही लगती है.
रिपोर्ट : आलोक कुमार झा
HIGHLIGHTS
- पानी को लेकर हाहाकार
- बूंद-बूंद पानी के लिए भटक रहे लोग
- लीक हो रहे पाइप से पानी भरने को मजबूर
- क्या यही है विकास की तस्वीर?
Source : News State Bihar Jharkhand