logo-image

बिहार में बाढ़-बारिश से हाहाकार, बेगूसराय में निगम प्रशासन की खुली पोल

बेगूसराय में भारी बारिश से एक तरफ जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, तो वहीं नगर निगम क्षेत्र में प्रशासनिक लापरवाही की वजह से जल निकासी में समस्या आ रही है.

Updated on: 03 Jul 2023, 04:50 PM

highlights

  • बिहार में बाढ़-बारिश से हाहाकार
  • बेगूसराय में निगम प्रशासन की खुली पोल
  • पहली बारिश में शहर ने ली जलसमाधि

Begusarai:

बेगूसराय में भारी बारिश से एक तरफ जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, तो वहीं नगर निगम क्षेत्र में प्रशासनिक लापरवाही की वजह से जल निकासी में समस्या आ रही है. लोगों के घरों में भी पानी घुस गया है. सिर्फ गोपालगंज ही नहीं बेगूसराय और अररिया में भी जनता बाढ़ और बारिश से हाहाकार कर रही है. जहां बेगूसराय में बारिश ने निगम प्रशासन की पोल खोल दी, तो वहीं अररिया में नदियों के बढ़ते जलस्तर ने ग्रामीणों की नींदे उड़ा दी है. आसमान से शोले बरसे तो लोगों को उम्मीद थी कि मानसून उनके लिए राहत की बूंद लाएगा, लेकिन राहत की बूंद आफत का सैलाब बन चुकी है. शहर के शहर जलसमाधि ले चुके हैं. गलियां, सड़कें तालाब बन गए हैं. नदियां अपने शबाब पर है. मानों अपनी लहरों में कई गावों को समा ले. 

यह भी पढ़ें- बिहार के इन 10 जिलों में आज भारी बारिश का अलर्ट, अगले तीन दिनों तक रहे सावधान

बिहार में बाढ़-बारिश से हाहाकार

बिहार में हर बार की तरह इस बार भी बारिश कहर बनकर बरस रही है. ग्रामीण से लेकर शहरी इलाके, सब पानी पानी हो गया है. बेगूसराय में तो हालात बदतर हो गए हैं. यहां बारिश और बाढ़ के साथ निगम प्रशासन की अनदेखी की दोहरी मार झेल रही जनता के पास जद्दोजहद करने के अलावा कोई चारा नहीं है. जिले में बारिश के आधे घंटे के अंदर ही नगर निगम का इलाका झील में तब्दील हो जाता है. 

निगम प्रशासन चैन की नींद सो रहा

जिले के अलग-अलग हिस्सों की तस्वीरें लगभग एक जैसी ही है. तस्वीरों में आप देख सकते हैं किस तरह से शहर के लोहिया नगर का एक हिस्सा झील में तब्दील है. लोग गंदे नाले के पानी से पटे रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ शहर के काली स्थान सर्वोदय नगर विष्णुपुर और महिला कॉलेज जीडी कॉलेज का इलाका भारी बारिश से डूब चुका है. घर हो या इमारत सभी जलमग्न हो चुके हैं. रास्तों पर घुटने तक पानी है. लोगों का घरों से निकलना तक मुश्किल हो गया है. गंदे नाले का पानी सड़क पर नदी की तरह बह रहा है. जिससे बीमारी का खतरा भी बढ़ने लगा है, लेकिन इन्हीं समस्याओं से निजात दिलाने के नाम पर वोट मांगने वाला निगम प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. 

अचानक नदी के जलस्तर में इजाफा

एक तरफ निगम प्रशासन के खिलाफ लोगों का आक्रोश, तो दूसरी ओर अधिकारियों की सफाई का दौर, जो कभी खत्म नहीं होता. हर साल ऐसे हालात बनते हैं फिर भी बारिश से पहले कोई इंतजाम नहीं होता. हां, अगर किसी ने सवाल कर दिया तो रटा रटाया जवाब देने में अधिकारी पीछे नहीं हटते. अररिया में भी बारिश का कहर लोगों पर बरस रहा है, लेकिन यहां असली आफत नेपाल में हो रही बारिश है. जिसके चलते पहाड़ी नदियों में से एक नूना नदी उफान पर आ गई है. नेपाल में तीन दिनों से हो रही बारिश के बाद अचानक नदी के जलस्तर में काफी इजाफा हो गया है और बांसबाड़ी के पास नदी तेजी से कटाव कर रही है. कटाव पर सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि तटबंध निर्माण कार्य, गुणवत्ता को लेकर शुरू से ही विवादों में रहा है. लिहाजा कटाव ने ग्रामीणों की नींदे उड़ा दी है. 

प्रशासन के साथ बिहार सरकार भी कटघरे में खड़ा

अररिया एमपी प्रदीप कुमार सिंह भी तटबंध निर्माण और काम की गुणवत्ता को सवाल उठाते रहे हैं. इस बार उन्होंने अररिया जिला प्रशासन के साथ ही बिहार सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया है. तो वहीं सदर एसडीएम ने मामले पर नजर रखने की बात कही है. बेगूसराय हो या अररिया. तस्वीरों के देख यही समझ आता है कि बिहार में जनता से किए गए वादे और विकास के दावे सिर्फ चुनावी झुनझुने की तरह है. जिसे चुनावी मौसम में बड़े शौक से जनप्रतिनिधि जनता को थमाते हैं और सत्ता की चाबी हासिल करते ही जनता और उनसे किए वादे दोनों भूल जाते हैं.जहां वोट मांगने वाले सत्ता की मलाई चखते हैं तो वहीं वोट देने वाले हर दिन जद्दोजहद करते हैं.