कड़ाके की ठंड में जिला प्रशासन के दावों की खुली पोल, किसी तरह रात बिताने को मजबूर हैं लोग
कड़ाके की ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से रैन बसेरा में लोगों के लिए समुचित व्यवस्था के साथ-साथ चौक चौराहे पर अलाव की व्यवस्था किए जाने का दावा तो किया गया मगर उसकी सच्चाई सामने आरही है.
highlights
- ठंड में सबसे ज्यादा गरीब और दैनिक मजदूर हो रहे हैं प्रभावित
- रैन बसेरा में गरीबों को नहीं दिया जाता है रुकने
- सरकार के द्वारा कोई भी सुविधा नहीं कराई गई उपलब्ध
Patna:
पिछले कई दिनों से कड़ाके की ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हाड़ कपकपा देने वाली ठंड ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है . इस ठंड में सबसे ज्यादा गरीब और दैनिक मजदूरी करने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं . जो अपने परिवार के भरण पोषण के लिए इस सर्द रात में भी रिक्शा चलाने को मजबूर हैं. कड़ाके की ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से रैन बसेरा में लोगों के लिए समुचित व्यवस्था के साथ-साथ चौक चौराहे पर अलाव की व्यवस्था किए जाने का दावा तो किया गया मगर उसकी सच्चाई सामने आरही है.
रैन बसेरा में गरीबों को नहीं दिया जाता रहने
समस्तीपुर जिले के रैन बसेरा में 50 से 60 बेड की व्यवस्था की गई है. जंहा लोगों को भोजन के साथ साथ सोने के लिए बेड, कंबल, मच्छरदानी की व्यवस्था की गई है. यहां ठहरने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ स्टेशन चौक के पास जंहा इस कड़ाके की ठंड में कुछ बेघर और कामगार खुले आसमान में सोने को बेबस हैं. कामगारों ने बताया कि रैन बसेरा से उन्हें लौटा दिया जाता है उन्हें वहां नहीं रुकने दिया जाता है. समस्तीपुर स्टेशन चौक पर नगर निगम के तरफ से अलाव की व्यवस्था भी नहीं की गई है. यहां लोग ठंड से बचने के लिए कागज़, प्लास्टिक और कार्टून जलाकर किसी तरह रात बिताने को मजबूर हैं.
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सरकार के द्वारा नहीं कराई गई कोई भी सुविधा उपलब्ध
वहीं, लखीसराय शहर में पारा 9 डिग्री के आसपास आ गया है. लेकिन सरकार के द्वारा कोई सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है. नगर परिषद के द्वारा अलाव की भी समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही है. लोग टायर जलाकर आग जला रहे हैं और उन्हें यह भी डर लगा हुआ है कि उसके धुए से कहीं उन्हें टीवी की बीमारी ना हो जाए . बावजूद इसके ठंड से बचने के लिए वो आग का सेवन कर रहे हैं. रैन बसेरा शहर में तो बनाया गया है लेकिन रैन बसेरा काम के लायक है ही नहीं क्योंकि बस स्टैंड के पास या तो अन्य जगह पर लोग रुकते हैं. वो रैन बसेरा तक नहीं आ पाते हैं . फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अभी तक कंबल का भी वितरण नहीं कराया गया है. जिला प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर दो-तीन गांव में जाकर कंबल देकर और सो गई है.
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