पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए गया में ऑनलाइन पिंडदान, पढ़ें पूरी खबर

सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान करने की परंपरा है.

सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान करने की परंपरा है.

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Vineeta Kumari
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पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए गया में ऑनलाइन पिंडदान( Photo Credit : प्रतीकात्मक तस्वीर)

सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान करने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है. पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे प्राचीन गया शहर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पितृपक्ष और पिंडदान करने पहुंचते हैं. दो साल कोरोना के कारण गया में पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया गया लेकिन इस साल 9 सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है.

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सरकार ने इस साल इसके लिए खास पैकेज लांच किए हैं जबकि ई पिंडदान की भी व्यवस्था की है. बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा छह टूर पैकेज की घोषणा की है. इस साल देश विदेश में ऐसे लोगों के लिए ई पिंडदान की भी व्यवस्था की गई है, जो यहां नहीं पहुंच सकते। इसके तहत तीन स्थानों (वेदियों) पर विधि विधान से पिंडदान कराया जाएगा.

निगम द्वारा छह अलग-अलग पैकेज भी लांच किए गए हैं, जिसके लिए अलग-अलग राशि खर्च करने होंगे। इसके तहत एक पैकेज एक रात और दो दिनों का है. इसमें गया में पिंडदान कराकर नालंदा और राजगीर भी घुमाने की व्यवस्था दी गई है. उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष के साथ-साथ तकरीबन पूरे वर्ष लोग अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना लेकर यहां पहुंचते हैं और फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं.

कहा जाता है कि पहले गया श्राद्ध में कुल पिंड वेदियों की संख्या 365 थी पर वर्तमान में इनकी संख्या 50 के आसपास ही रह गई है. इनमें श्री विष्णुपद, फल्गु नदी और अक्षयवट का विशेष मान है. गया तीर्थ का कुल परिमाप पांच कोस (करीब 16 किलोमीटर) है और इसी सीमा में गया की पिंड वेदियां विराजमान हैं.

Source : Agency

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