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बुजुर्ग की मौत पर परिजनों ने करवाया नाच गाना, पूर्व सरपंच था मृत व्यक्ति

राजगीर थाना क्षेत्र अंतर्गत विस्थापित नगर मोहल्ले के राम शरण यादव 85 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. निधन के बाद बुजुर्ग के परिजनों ने घर से लेकर मुक्ति धाम तक बैंड बाजा के साथ साथ लौंडा नाच का आयोजन कराया .

Updated on: 28 Dec 2022, 10:50 AM

highlights

  • बुजुर्ग की अंतिम यात्रा में करवाया गया नाच गाना 
  • 85 वर्ष की उम्र में बुजुर्ग का हुआ निधन 
  • पूरे जिले में चर्चा का बना विषय

Nalanda:

जब घर में किसी की भी मौत हो जाती है तो पूरे परिवार में गम का माहौल होता है लेकिन नालंदा में एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जिसने सभी को हैरानी में डाल दिया है. एक घर में बुजुर्ग की मौत हो जाती है और गम की जगह जश्न की तरह शव को ले जाया जाता है. नाच गाना करवाया जाता है. किसी के अंतिम यात्रा की ऐसी तस्वीर देख सभी यही सोच रहे थे कि कोई ऐसा कैसे कर सकता ये कैसा गम है जिसे नाच गाने के साथ बताया जा रहा है. राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के मुक्तिधाम स्थल पर ये नज़ारा देखने को मिला है. जो चर्चा का विषय बन गया है. जहां एक बुजुर्ग की मौत पर परिवार के लोगों ने अंतिम यात्रा से लेकर मुक्तिधाम में मुखाग्नि देने तक लौंडा नाच करवाया .

राजगीर थाना क्षेत्र अंतर्गत विस्थापित नगर मोहल्ले के राम शरण यादव 85 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. निधन के बाद बुजुर्ग के परिजनों ने ऐसा कुछ किया जिसे करने से पहले कोई भी सौ बार सोचेगा . घर से लेकर मुक्ति धाम तक बैंड बाजा के साथ साथ लौंडा नाच का आयोजन कराया गया. जिसका तर्क भी उनके परिजनों ने अजीबोगरीब दिया. उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश यह था कि इस दुःख की घड़ी में साहस और हिम्मत प्रदान हो. उनकी मौत का गम परिजनों को ना हो . एक ओर बुजुर्ग के शव का दाह संस्कार किया गया जा रहा था दूसरी ओर पास में ही नाच किया जा रहा था. साथ ही रास्ते से गुजर रहे हैं पर्यटक एवं अन्य लोग इसे देखने के लिए रुक जा रहे थे . 

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आपको बता दें कि, जिस बुज़ुर्ग का निधन हुआ था उनके दाह संस्कार में भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे एवं पुरुष भी शामिल हुए, क्योंकि मृतक बुजुर्ग इलाके के पूर्व सरपंच थे इसलिए उनकी अंतिम यात्रा इस तरह निकाली गई. मृत बुजुर्ग के परिजनों ने बताया की हमारे चाचा की 85 साल की उम्र में मौत हुई है. जो की काफी ज्यादा थी हमारे यहां पहले कई लोगों की मौत इनसे कम उम्र में ही हो गई थी. बैंड बाजा के साथ लौंडा नाच का आयोजन कराने का उद्देश यह भी है कि इस समय नाच करने से परिवार में एक नई ऊर्जा आ सके.

रिपोर्ट -  शिव कुमार